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...काश पटेल को मिली होती कमान तो अलग होते कश्मीर के हालात, नेहरू नीति पर BJP प्रहार

नेहरू ने यदि गृहमंत्री सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर रियासत को स्वतंत्र रूप से संभालने की इजाजत दी होती तो मुझे यकीन है कि भारतीय उप महाद्वीप का इतिहास कुछ और होता।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 09:16 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 02:22 PM (IST)
...काश पटेल को मिली होती कमान तो अलग होते कश्मीर के हालात, नेहरू नीति पर BJP प्रहार
...काश पटेल को मिली होती कमान तो अलग होते कश्मीर के हालात, नेहरू नीति पर BJP प्रहार

नई दिल्‍ली [ एजेंसी ]। सरदार पटेल पर सैफुद्दीन सोज की टिप्पणी के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भाजपा की ओर से मोर्चा संभाल लिया है। उन्‍होंने कहा कि आजादी के बाद तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यदि गृहमंत्री सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर रियासत को स्वतंत्र रूप से संभालने की इजाजत दी होती तो मुझे यकीन है कि भारतीय उप महाद्वीप का इतिहास कुछ और होता। इस तरह केंद्रीय मंत्री ने अपने एक तीर से दो निशाने साधे। उन्‍होंने एक ओर जहां सोज पर प्रहार किया है वहीं अप्रत्‍यक्ष रूप से कांग्रेस की खासकर नेहरू की कश्‍मीर नीति पर भी सवाल खड़े किए हैं। 

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पटेल का रियासतों के प्रति दृष्टिकोण स्‍पष्‍ट और साफ था। वह रियासतों को संभालने में पूरी तरह से सक्षम थे। अपने कौशल और रणनीति से उन्‍होंने कई रियासतों को भारत का अभिन्‍न हिस्‍सा बनाया।

जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर के मामलों से बाहर रखा था। उन्‍होंने कहा कि अगर इस रियासत की कमान पटेल के हाथ में होती तो जम्मू-कश्मीर का हिस्सा जो आज पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, वह निश्चित रूप से भारत के पास होता।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि नेहरू का मानना था कि कश्मीर मामलात को वह बेहतर समझते और जानते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने गृहमंत्री को अन्‍य रियासतों की तरह जम्‍मू-कश्‍मीर की जिम्‍मेदारी नहीं दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए भी हुआ,  क्योंकि नेहरू के शेख अब्दुल्ला के लिए विशेष संबंध था। इसलिए वह उन पूर्वाग्रहों से ग्रसित थे।

सैफुद्दीन सोज के विवादित बयान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने अपने विवादित बयान में कहा है कि वल्लभ भाई पटेल हमेशा चाहते थे कि कश्मीर का विलय पाकिस्तान में हो जाए, लेकिन जवाहर लाल नेहरू की वजह से ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने हैदराबाद के बदले पाकिस्तान को कश्मीर की पेशकश की थी, लेकिन नेहरू को कश्मीर से विशेष प्रेम था।

इसके अलावा सोज ने अपनी पुस्तक 'कश्मीर ग्लिम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में परवेज मुशर्रफ के उस बयान का भी समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वोटिंग की स्थितियां होती हैं तो कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे। इसके चलते

हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने सोज के इन बयानों से फिलहाल किनारा कर लिया है। कहा जा रहा है कि पार्टी सोज के खिलाफ अनुशसनात्मक कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान के बाद भी पार्टी को असहजता का सामना करना पड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आर्मी ऑपरेशन में आतंकियों से ज्यादा आम नागरिक मारे जाते हैं।


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