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केंद्रीय मंत्री का दावा- मोदी सरकार का बड़ा कदम, 3 साल में देश का समूचा बिजली क्षेत्र प्री-पेड हो जाएगा

तीन-चार वर्षो बाद जब देश के कुल बिजली उत्पादन क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी अच्छी हो जाएगी तो प्री-पेड कदम ग्राहकों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 09:08 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 09:08 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री का दावा- मोदी सरकार का बड़ा कदम, 3 साल में देश का समूचा बिजली क्षेत्र प्री-पेड हो जाएगा
केंद्रीय मंत्री का दावा- मोदी सरकार का बड़ा कदम, 3 साल में देश का समूचा बिजली क्षेत्र प्री-पेड हो जाएगा

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन ]। अपने जमाने के बेहद कड़क नौकरशाह और आरा संसदीय क्षेत्र से सांसद राज कुमार सिंह को फिर से बिजली और नवीन ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। पिछली सरकार के कार्यकाल में भी उन्होंने इन्हीं दोनो मंत्रालयों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से खास बातचीत में वह बताते हैं कि इस बार उनकी तैयारी समूचे बिजली सेक्टर में मूलभूत सुधार करने की है। नई टैरिफ नीति से इसकी शुरुआत होने जा रही है।

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पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न: बजट के प्रावधानों पर लोकसभा व राज्यसभा में जो चर्चा हुई है उसमें विपक्ष का एक बड़ा आरोप है कि किसानों की अनदेखी की गई है, आपका क्या कहना है?

उत्तर: विपक्ष के इन आरोपों का तो वित्त मंत्री की तरफ से बहुत ही माकूल जवाब दे दिया गया है। लेकिन मैं यहां उन बजटीय प्रावधानों व घोषणाओं के बारे में बताना चाहूंगा जो बिजली मंत्रालय के जरिये किसानों को फायदा पहुंचाने से संबंधित हैं।

सबसे पहले बात करते हैं किसानों की बंजर जमीन या फसल उपजा रही जमीन पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने की इजाजत देने वाले प्रावधान की। यह कदम किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएगा।

उदाहरण के लिए एक मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए किसान को 4.5 एकड़ बंजर जमीन चाहिए। इससे एक साल में 16 लाख यूनिट बिजली पैदा हो सकती है। अगर इसकी कीमत औसत 3.50 रुपये प्रति यूनिट भी मान लें तो यह 56 लाख रुपये की बनती है। अगर वह किसान किसी संगठित बिजली कंपनी को भी यह जमीन दे, तो बिना कुछ किए वह औसतन पांच लाख रुपये सालाना की फीस हासिल कर लेगा।

खेतों में सोलर पैनल लगाने के लिए किसानों को 30 फीसद केंद्र से, 30 फीसद राज्य से, 30 फीसद बैंक से मदद दी जाएगी। यानी किसान को अपनी जेब से सिर्फ 10 फीसद राशि ही खर्च करनी होगी। जो बिजली बनेगी उससे वह फ्री में सिंचाई कर सकेगा और बची हुई बिजली वह ग्रिड को सप्लाई कर सकेगा जिससे उससे अतिरिक्त कमाई भी होगी।

प्रश्न: बजट में बिजली क्षेत्र के लिए नई टैरिफ नीति की भी बात कही गई है। इसको लेकर क्या तैयारी है?

उत्तर: बजट में टैरिफ नीति की भी चर्चा है जिस पर पिछले कुछ दिनों से काम कर रहे हैं। इसका कैबिनेट नोट तैयार है, जल्द ही अन्य संबंधित मंत्रालयों से इस पर चर्चा होगी और इसे मंजूरी दिलाई जाएगी। नई टैरिफ नीति के मूल में है ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए बिजली क्षेत्र के विकास के लिए ठोस जमीन तैयार करना। इसका एक मूल मंत्र होगा हर ग्राहक को चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना।

हमारी सरकार ने पिछले कार्यकाल के दौरान ही यह सुनिश्चित कर दिया है कि देश में हर राज्य या उद्योग को जितनी बिजली चाहिए उतनी दी जाए। कोई राज्य यह नहीं कह सकता कि वह बिजली खरीदना चाहता है लेकिन केंद्रीय पूल में बिजली नहीं है। ऐसे में ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली तभी मिलेगी जब कानूनी प्रावधान किया जाए।

अगर बिजली की कटौती गैर-प्राकृतिक वजहों से होगी तो फिर उसका जुर्माना ग्राहकों को मिलेगा। इसमें एक दूसरी बात यह जोड़ी गई है कि बिजली वितरण कंपनी के स्तर पर जितनी हानि होती है उसका पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला जाए।

अभी राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां जितनी बिजली खरीदती हैं उसका 20-30 फीसद हिस्सा बर्बाद हो जाता है या चोरी हो जाती है। लेकिन बिजली की कीमत तय करने में इसे भी जोड़ा जाता है। यह अब नहीं होगा।

बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को सिर्फ 15 फीसद तक बिजली चोरी या बर्बादी का हर्जाना मांगने की छूट होगी। इसके बाद जो होता है उसे वह बिजली की लागत करने में नहीं जोड़ सकेंगी। यानी डिस्कॉम अपने स्तर पर स्मार्ट बनकर बिजली की चोरी रोकें, ग्राहकों से इसकी वसूली नहीं करें। यह टैरिफ नीति पूरे बिजली क्षेत्र में मूलभूत बदलाव करेगा।

प्रश्न: आपने डिस्कॉम की बात की है। इसके लिए पूर्व सरकार ने धूमधाम से उदय योजना का एलान किया था। उसका क्या असर रहा?

उत्तर: हां, उदय योजना की लगातार समीक्षा की जा रही है। कुछ राज्यों में इसका काफी असर रहा। लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कुछ राज्यों की स्थिति नहीं सुधरी है। कई बड़े राज्यों में ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) से होने वाली हानि अभी भी 30 फीसद तक है। उदय को और प्रभावशाली बनाने के लिए हम एक बड़ा कदम यह उठाने जा रहे हैं कि अब किसी भी राज्य को बिजली क्षेत्र में अलग-अलग परियोजनाओं से जितनी राशि मिलती है, उसे अब मिलाकर दिया जाएगा।

यानी दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना, आइआरडीएस और उदय की योजना के तहत दी जाने वाली राशि एक साथ मिलेगी लेकिन राशि का आवंटन उदय को लागू करने की गंभीरता पर निर्भर करेगा। अभी तक उदय की योजना को लागू नहीं करने का खामियाजा सिर्फ उदय के तहत मिलने वाली राशि पर ही पड़ता था, लेकिन अब इसका व्यापक असर होगा।

जो राज्य सरकारें डिस्कॉम की हानि नहीं उठा रहे थे, उनके सामने अब कोई रास्ता नहीं होगा। उन्हें पीएफसी या आरईसी जैसे वित्तीय संस्थानों से कर्ज भी नहीं मिल सकेगा। नई टैरिफ नीति में इसका भी प्रावधान किया जा रहा है। इसके लिए जल्द राज्यों की एक बड़ी बैठक बुलाई जा रही है जिसमें बाकी कई चीजों पर फैसला होना है।

प्रश्न: आपने प्री-पेड की बात कही। हाल ही में बिजली खरीद में अग्रिम भुगतान की व्यवस्था राज्यों के लिए की गई है। क्या यह किसी व्यापक योजना का हिस्सा है?

उत्तर: निश्चित तौर पर। हम चाहते हैं कि देश का समूचा बिजली क्षेत्र अगले तीन वर्षो में प्री-पेड हो जाए। यानी बिल का भुगतान पहले हो, या कहें तो जितनी रकम उपभोक्ता जमा कराएगा, उतने रकम की ही बिजली उसको मिलेगी। यह बिजली क्षेत्र को मजबूती देने के लिए बहुत जरूरी है। तो सबसे पहले हमने डिस्कॉम के लिए यह व्यवस्था की है कि वे जितनी बिजली खरीदेंगे, उसका अग्रिम भुगतान की गारंटी के लिए एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) देनी होगी।

अभी डिस्कॉम पर विभिन्न बिजली कंपनियों का 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है। हम यह व्यवस्था आम ग्राहकों के लिए भी करने जा रहे हैं, जिसका प्रावधान नई टैरिफ नीति में होगा। पूरे देश में तीन वर्ष के भीतर स्मार्ट मीटर का इस्तेमाल किया जाने लगेगा। इसमें बिजली भुगतान पहले करना होगा जैसा अभी प्री-पेड मोबाइल फोन में होता है। पहले मीटर रिचार्ज करवाइए और फिर बिजली इस्तेमाल कीजिए। इससे गरीबों को सबसे ज्यादा फायदा होगा क्योंकि वे उतनी ही बिजली जलाएंगे जितनी उनकी आर्थिक क्षमता होगी।

कई बार यह देखने में आता है कि बिजली बिल एक बार ज्यादा आ जाता है तो फिर ग्राहक भुगतान के दुष्चक्र में फंस जाता है। कई राज्यों ने कहा है कि वह तीन वर्ष में नहीं बल्कि एक वर्ष में ही प्री-पेड करने जा रहे हैं। इसमें बिहार, तेलंगाना जैसे राज्य हैं।

यह कदम डिस्कॉम की लागत को भी काफी कम कर देगा। क्योंकि उन्हें बिजली मीटर रीडर रखने पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। स्मार्ट मीटर के बाद हम दिन के अलग-अलग समय में बिजली की दर अलग-अलग रखने का फार्मूला लागू करेंगे।

तीन-चार वर्षो बाद जब देश के कुल बिजली उत्पादन क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी अच्छी हो जाएगी, तो यह कदम ग्राहकों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। दिन में बिजली कंपनियां सस्ती दर पर प्राप्त सौर ऊर्जा की आपूर्ति ग्राहकों को करेंगी, इसके लिए ग्राहकों को कम शुल्क देना होगा। इस तरह से वे बिजली खपत वाले सारे काम दिन में कर सकेंगे।


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