केंद्र की राहुल को चुनौती, महिला आरक्षण बिल के साथ तीन तलाक विरोधी बिल को भी दें समर्थन
रविशंकर प्रसाद ने महिला बिल को लेकर राहुल गांधी पर ऐसा सियासी दांव चला है कि इसके बाद कांग्रेस का धर्मसंकट में आना तय है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महिला आरक्षण का मुद्दा उछालकर सरकार को घेरने मे जुटे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सरकार ने उल्टा फांस डाल दिया। एक दिन पहले ही राहुल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महिलाओं को अधिकार देने के लिए आरक्षण विधेयक लाने की बात कही थी।
दूसरे ही दिन केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल को पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए न सिर्फ महिला आरक्षण बल्कि तीन तलाक और निकाल हलाला पर भी दोनों दल इकट्ठे हो जाएं। कांग्रेस इसके लिए सहमति दे और अपने विपक्षी साथियों से भी वादा ले कि वह व्यवधान पैदा नहीं करेंगे। सरकार इसके लिए तैयार है। लेकिन जो स्थिति है उसमें कांग्रेस के लिए तीन तलाक के वर्तमान विधेयक और निकाह हलाला प्रतिबंध को समर्थन देना आसान नहीं है।
हर चुनाव में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने उनके राजनीतिक महत्व को स्पष्ट कर दिया है। यही कारण है कि तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने एक रैली में राहुल से पूछा था कि वह सिर्फ मुस्लिम मर्दो की तरफदारी क्यों करती है। मुस्लिम महिलाओं की भी सुनें और तीन तलाक जैसे विधेयक का समर्थन करें। उसके बाद राहुल की ओर से महिला आरक्षण को लेकर लिखी गई चिट्ठी जाहिर तौर पर पलटवार था।
हुल ने बुधवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में ही इसे पारित कराने का आग्रह किया था। सरकार की ओर से बिना देर किए कांग्रेस के लिए नई चुनौती पेश कर दी गई। रविशंकर ने चिट्ठी में बताया कि प्रधानमंत्री ने उनका पत्र बतौर कानून मंत्री उन्हें भेजा है।
रविशंकर ने याद दिलाया कि कांग्रेस इसका श्रेय लेने की कोशिश न करे। यह विधेयक सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की ओर प्रस्ताव किया गया था, लेकिन सर्वसम्मति नहीं बन पाई। संप्रग सरकार के काल में इसे राज्यसभा में पारित कराया गया था और राजग एकजुट साथ खड़ा था। जवाब कांग्रेस को देना चाहिए कि फिर उसे लोकसभा में पारित कराने की कोशिश क्यों नहीं की गई। तीन साल का वक्त बचा था लेकिन कांग्रेस ने उसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई और लोकसभा के साथ ही विधेयक रद हो गया।
रविशंकर ने कहा कि अब कांग्रेस ने फिर से रुचि दिखाई है तो भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल को हाथ मिलाकर देश की महिलाओं को बड़ा तोहफा देना चाहिए और तीन तलाक तथा निकाह हलाला को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक पर भी खुले दिल से समर्थन दे। उन विपक्षी दलों को संयत करने की जिम्मेदारी भी सरकार ने कांग्रेस पर डाल दी जो वैचारिक रूप आरक्षण विधेयक का विरोध कर रहे हैं। राजद, सपा जैसे कई दल महिला आरक्षण में भी कोटे की वकालत करते रहे हैं।
रविशंकर ने लगे हाथों ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के विधेयक पर भी समर्थन मांग लिया। ध्यान रहे कि यह विधेयक राज्यसभा में विपक्ष के संशोधन के कारण रुक गया था।