केंद्रीय फंड मिलने में हो रही देरी से मध्य क्षेत्र के राज्य खफा
छत्तीसगढ़ की राजधानी में गृह मंत्री की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें चार राज्यों के मुख्यमंत्री ने हिस्सा लिया।
रायपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार से राज्यों को फंड मिलने में हो रही देर का मुद्दा मंगलवार को मध्य क्षेत्र परिषद की बैठक में उठा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में परिषद में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि जीएसटी की क्षतिपूर्ति ही नहीं विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाला फंड भी समय पर नहीं आ रहा है। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति को भी बढ़ाने की मांग रखी। बैठक के दौरान ग्रामीण विकास और ग्रामीण सड़कों का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा।
छत्तीसगढ़ की राजधानी नया रायपुर में हुई मध्य क्षेत्र परिषद की इस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और परिषद के उपाध्यक्ष भूपेश बघेल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शामिल हुए। चारो राज्यों के दो-दो मंत्री और मुख्य सचिव के साथ केंद्र व राज्यों के वरिष्ठ अफसर समेत करीब 120 लोग शामिल हुए। सुबह साढ़े 11 बजे से तीन बजे तक बिना ब्रेक चली इस बैठक में राज्यों ने बारी-बारी से अपनी बात रखी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जीएसटी क्षतिपूर्ति को 42 से बढ़ाकर 50 फीसद करने की मांग उठाई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने भी केंद्रीय फंड मिलने में देर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि समेत विभिन्न योजनाओं का करीब 23 सौ करोड़ पये अब तक नहीं मिला है। बैठक में मौजूद अफसरों के अनुसार केंद्रांश मिलने में देरी का विकास कार्यो पर असर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण क्षेत्रों को हो रहा है। ग्रामीण सड़कों की मरम्मत नहीं हो पा रही है।
सीजी को इस परिषद से अलग करने की मांग
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने छत्तीसगढ़ को मध्य क्षेत्र से अलग करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब यह परिषद बना तब मध्य क्षेत्र में एमपी और यूपी दो राज्य थे। दोनों राज्यों के बंटवारे के बाद चार हो गए हैं। इनमें उत्तराखंड की परिस्थतियां अलग है। हमारे यहां नक्सलवाद है, वहां ऐसी समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सीमाएं सात राज्यों से लगती हैं। इन राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां और समस्याएं लगभग एक समान हैं। इस वजह से बघेल ने छत्तीसगढ़ को इन राज्यों के साथ परिषद में रखने का प्रस्ताव दिया है।
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