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सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आए दिल्ली सरकार और केंद्र

दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद पर अपने फैसले में वे एलजी को फाइलें भेजने की प्रक्रिया का भी उल्लेख करेंगे।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 09:09 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 09:09 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आए दिल्ली सरकार और केंद्र
सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आए दिल्ली सरकार और केंद्र

नई दिल्ली, प्रेट्र। पारिवारिक अदालतों में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने में उपराज्यपाल (एलजी) की सहमति हासिल करने की आवश्यकता पर गुरुवार को दिल्ली की आप सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में भिड़ गए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन के मसले पर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद पर अपने फैसले में वे एलजी को फाइलें भेजने की प्रक्रिया का भी उल्लेख करेंगे।

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जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ को दिल्ली सरकार के अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बताया कि पारिवारिक अदालतों में पीठासीन अधिकारियों के पद रिक्त थे। लेकिन जब सरकार ने नामों की अधिसूचना जारी की तो मुख्य सचिव (विधि) ने कहा कि फाइल पर एलजी की सहमति जरूरी है। उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हाल ही में कहा था कि एलजी को सिर्फ सूचना दिए जाने की जरूरत है। इस पीठ ने टिप्पणी की कि मामले में अधिसूचना जारी करने से पहले उसका मसौदा एलजी को भेजा जाना चाहिए।

केंद्र के वकील सीए सुंदरम ने कहा कि आप सरकार ने अपने अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी किया है कि भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मसलों को छोड़कर किसी भी फाइल को मंजूरी के लिए एलजी के पास नहीं भेजा जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी मामले में अधिसूचना जारी हो गई तो फिर एलजी क्या करेंगे।


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