जेटली ने गांधी परिवार पर साधा निशाना, कहा- जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल और गांधी परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग संपत्ति सृजन स्कीम से धन कमाते हैं।
नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय वित्त मंत्री एवं भाजपा नेता अरुण जेटली ने बुधवार को राहुल और गांधी परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग 'संपत्ति सृजन स्कीम' से धन कमाते हैं। इनका और इनकी टीम का एक राजनैतिक तरीका रहा है कि जो इमानदारी से काम कर रहा है उस पर झूठे आरोप लगाकर उसे परेशान कर दो। हालांकि इन्हें समझना चाहिए कि 'जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।'
वरिष्ठ भाजपा नेता ने राहुल का बिना नाम लिए उन पर निशाना साधते हुए कहा कि ये वो व्यक्ति हैं जिन्होंने शायद अपने जीवन में कोई व्यावसायिक काम नहीं किया है। एक अच्छा जीवन जीना और विदेशों में पलना, उसी देश में छुट्टियां मनाना, ऐसा जीवन उन्होंने व्यतीत किया है। पिछले साल डेढ़ साल में इनका काम केवल लोगों पर भी बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाने का रहा है। लेकिन, इन्हें पुरानी कहावत कि 'शीशे के घरों में रहने वाले दूसरों को पत्थर नहीं मारते' से भी सबक लेना चाहिए।
जेटली ने कहा कि इंदिराजी ने एक फार्म हाउस बनवाया था जिसकी कीमत ये आज भी नौ लाख रुपये बताते हैं। यह बाद में राजीव जी को मिली, उसके बाद इन दोनों बहन भाई को। मैं एक वाक्य इस्तेमाल कर रहा हूं जो इस परिवार के लिए एक स्थाई आदत बन गई है। इनका काम है कि किसी भी प्रकार से अपने खातों में पूंजी को बनाया जाए (संपत्ति सृजन स्कीम) । यह पूंजी कैसे बनाते हैं इसकी भी बानगी देखिए। जब ये सरकार में थे, तब इन्होंने एक युक्ति अपनाई कि इस फार्म हाउस को किराए पर दे दिया जाए।
भाजपा नेता ने कहा कि इन्होंने उस समय इस काम के लिए ऐसे कारोबारियों को चुना जो खुद मुश्किल में थे। यह खेल 2004 से 2014 के बीच में हुआ। इसके बाद जब पूंजी बन गई तो ऐसे रीएल स्टेट बिल्डरों को खोजा जो परेशान थे। इन्होंने तब जिग्नेश शाह को पकड़ा जो 16 हजार निवेशकों का पांच हजार आठ सौ करोड़ रुपये नहीं लौटा पा रहे थे। साल 2007 से 2008 तक उन हजारों निवेशक ने जिग्नेश शाह की दोनों कंपनियों का मर्जर करने की अपील की थी।
जेटली ने बताया कि उस समय जिग्नेश शाह की एक कंपनी में पांच हजार करोड़ रुपये की संपत्ति थी जबकी दूसरी ने निवेशकों का पैसा लूटा था। चूंकि केंद्र सरकार के पास अधिकार है कि कंपनियों को वह मर्ज करके निवेशकों के पैसे को वापस लौटाने की राह को आसान करे। लेकिन, यह मर्जर पिछली यूपीए सरकार ने नहीं किया। जब हमारी सरकार आई तो हमने दोनों कंपनियों को मर्ज कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र के पक्ष में फैसला दिया अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। केंद्रीय मंत्री ने सवाल उठाया कि क्या कारण था कि आपने जिग्नेश शाह की कंपनियों का मर्जर नहीं होने दिया।