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कृषि संशोधनों पर नरेंद्र तोमर ने दी कांग्रेस को अपने घोषणापत्र से मुकरने की चुनौती, लगाया दोहरा चरित्र का आरोप

नरेंद्र तोमर ने कहा कि कांग्रेस देश में झूठ बोलने की राजनीति करके किसानों को गुमराह करने की राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें सफलता नहीं मिलेगी। एमएसपी को बाध्यकारी बनाने की कांग्रेस की मांग पर तोमर ने कहा कि एमएसपी कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:31 PM (IST)
कृषि संशोधनों पर नरेंद्र तोमर ने दी कांग्रेस को अपने घोषणापत्र से मुकरने की चुनौती, लगाया दोहरा चरित्र का आरोप
नरेंद्र तोमर ने कहा कि कांग्रेस देश में झूठ बोलने की राजनीति कर रही है कांग्रेस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद से पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ विपक्ष के देशव्यापी हड़ताल के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इन विधेयकों को 'किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव' लाने वाला बताया। तोमर ने राहुल गांधी को इन विधेयकों का विरोध करने के पहले अपनी पार्टी के 2019 के घोषणापत्र से मुकरने की चुनौती दी। तोमर ने सरकार के इस दावे को दोहराया कि विधेयकों को 'किसानों की माली हालात सुधारने में मददगार' साबित होगी।

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घोषणापत्र में कृषि कानूनों में संशोधन का वायदा और बाद में इन्हीं संशोधनों के विरोध को कांग्रेस पार्टी का दोहरा चरित्र बताते हुए नरेंद्र तोमर ने कहा कि विपक्षी दल विधेयक के एक भी प्रावधान का विरोध नहीं पा रहे हैं। राज्यसभा और लोकसभा सभा में चार-चार घंटे तक चली चर्चा के दौरान विपक्ष की ओर से विधेयक के प्रावधानों के विरोध में कुछ नहीं कहा गया। वे उन चीजों का विरोध कर रहे हैं, जो विधेयक में है ही नहीं। इससे साफ है कि संशोधन विधेयक पूरी तरह से किसानों के हित में है। स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट से लेकर मनमोहन सिंह और शरद पवार के पुराने बयानों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा संशोधन कृषि सुधारों की उसी दिशा में है।

कांग्रेस झूठ फैलाने की कर रही राजनीति

नरेंद्र तोमर ने कहा कि कांग्रेस देश में झूठ बोलने की राजनीति करके किसानों को गुमराह करने की राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें सफलता नहीं मिलेगी। एमएसपी को बाध्यकारी बनाने की कांग्रेस की मांग पर तोमर ने कहा कि एमएसपी कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। यह प्रशासनिक आदेश है। कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यदि उन्हें एमएसपी को बाध्यकारी बनाना इतना जरूरी लग रहा है तो अपने 50 सालों के शासन काल में इसे क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि 'किसानों को कहना चाहता हूं कि एमएसपी थी, है और रहेगी। घबराने की जरूरत नहीं है।'

किसान अपने घर पर ही किसी भी व्यापारी को बेच सकता है अनाज 

मंडी प्रणाली में किसानों की परेशानियों को रेखांकित करते हुए नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसानों के खुद अपने खर्च पर अनाज ढोकर मंडी तक ले जाना पड़ता है, जहां 25-30 पंजीकृत व्यापारी उसकी फसल की बोली लगाते हैं। कम बोली लगने के बावजूद किसान को शाम तक मंडी में अनाज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। नहीं तो उसे अनाज अपने खर्च पर वापस लाने और फिर अगले दिन मंडी में ले जाने की मजबूरी होती है। इसके साथ ही पंजाब जैसे राज्य में किसानों से ही 8.5 फीसद तक टैक्स भी वसूला जाता था। अब किसान अपने घर पर ही अनाज किसी भी व्यापारी को बेच सकता है। इससे खरीददारों की संख्या बढ़ेगी, प्रतिस्पद्र्धा से किसानों को बेहतर दाम मिलेगा और उसे ढुलाई का खर्च और मंडी का टैक्स भी नहीं देना पड़ेगा।

तोमर ने बताया कि कांट्रैक्ट खेती के मामले में भी सारे प्रावधान किसानों के हित को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इसके तहत किसान जब चाहे तब कांट्रैक्ट छोड़ सकता है। लेकिन व्यापारी करार की कीमत का भुगतान किए बिना नहीं छोड़ सकता है। विवाद को निपटाने के लिए भी 30 दिन की सीमा तय कर गई है। यही नहीं, गलती किसान की हुई तो किसान उतना ही वापस करेगा, जितना उसने व्यापारी से लिया था। इसमें किसान की जमीन बेचकर पैसा देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर यदि व्यापारी की गलती करता है, तो उसे करार का पूरा भुगतान करना पड़ेगा और यहां तक किसान को150 फीसदी तक अधिक देना पड़ सकता है। इन विधेयकों की जरूरत बताते हुए तोमर ने कहा कि कानूनी प्रावधान नहीं होने के कारण निजी निवेशक गांव में निवेश नहीं कर पा रहे थे। अब यह रास्ता खुल गया है।


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