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पाकिस्‍तान के हमले के दौरान नेहरू ने मांगी थी RSS से मदद : उमा भारती

मोहन भागवत के सेना वाले बयान पर मचे बवाल के बीच उमा भारती ने 'नहले पे दहला' मारा है।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 01:33 PM (IST)
पाकिस्‍तान के हमले के दौरान नेहरू ने मांगी थी RSS से मदद : उमा भारती
पाकिस्‍तान के हमले के दौरान नेहरू ने मांगी थी RSS से मदद : उमा भारती

भोपाल, जेएनएन। इन दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने सेना वाले बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्‍होंने कहा था कि उनके स्वयंसेवक देश की रक्षा के लिए तैयार हैं और अगर देश को जरूरत पड़ी तो वे तीन दिन में ही सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाएंगे। भागवत के इस बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया और इसे देश के लिए जान न्‍योछावर करने वालों का अपमान बताया।

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हालांकि अब भाजपा की वरिष्‍ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने 'नहले पे दहला' मारा है। उन्‍होंने दावा किया है कि आजादी के कुछ ही समय बाद जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस से मदद मांगी थी। हालांकि उमा भारती ने भागवत के बयान पर सीधे तौर पर कुछ नहीं बोला।

उमा भारती ने कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के राजा महाराजा हरि सिंह संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे और शेख अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर करने के लिए उनपर दबाव डाला। इस बीच नेहरू दुविधा में थे। फिर पाकिस्तान ने एकाएक हमला कर दिया और उसके सैनिक उधमपुर की तरफ बढ़ने लगे। उस समय नेहरूजी ने गुरू गोवलकर (तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एम एस गोवलकर) आरएसएस के स्वयंसेवकों की मदद मांगी, जिसके बाद आरएसएस स्वयंसेवक मदद को जम्मू-कश्मीर गए थे।

सिर्फ तीन साल तक नहीं लड़ेंगी चुनाव

गौरतलब है कि उमा भारती के बारे में खबरें थीं कि वह अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसा उन्‍होंने खुद एलान किया था। मगर अब उन्‍होंने खुद ही इसका खंडन करते हुए कहा है कि वह सिर्फ अगले तीन साल तक चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमा भारती ने कहा कि कमर और घुटने में दर्द की वजह से मैं अगले तीन साल तक आराम करना चाहती हूं और कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी। हालांकि अभी मंत्री पद पर बनी रहूंगी। मेरी राज्यसभा में भी जाने की कोई इच्छा नहीं है। वहीं उन्‍होंने यह भी कहा कि व्यापमं घोटाले में मेरा नाम आना जीवन का सबसे दुखद क्षण था। घोटाले में मेरा नाम अनुचित था।

नहीं ले रहीं राजनीति से संन्‍यास

उमा भारती मंगलवार को भोपाल में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने संकेत दिए कि वे राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हैं। 75 साल को राजनीति से संन्यास की उम्र मानें तो मेरे पास अभी 17 साल हैं और मैं मध्‍य प्रदेश के तीन बड़े नेता शिवराज, कैलाश और प्रहलाद से छोटी हूं। तीन साल मुझे संयमित दिनचर्या के साथ स्वास्थ्य ठीक करना है। मध्‍य प्रदेश में चुनाव प्रचार करने की मुझे कोई लालसा नहीं है। मैं 2019 के बाद का चुनाव लड़ूंगी।

मोदी-शाह से की इस्तीफे की पेशकश

उमा भारती ने कहा मैंने 2016 में ही प्रधानमंत्री के सामने मंत्रिमंडल से इस्तीफे की पेशकश कर कहा था मैं संगठन में रहकर काम करना चाहती हूं। उन्होंने मुझे वजन घटाकर काम करते रहने की सलाह दी थी। मैं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से संगठन में काम करने की इच्छा जता चुकी हूं।

बहुत भ्रष्टाचार था जल संसाधन में

पिछले साल जब उमा भारती से जल संसाधन मंत्रालय वापस लिया गया तो कयास लगाए जा रहे थे कि केन-बेतवा और अन्य नदी लिंक परियोजनाओं की सुस्त रफ्तार की वजह से हटाया गया है। जल संसाधन मंत्रालय को लेकर वह बोलीं कि मैंने जब मंत्रालय संभाला तो उसमें बहुत भ्रष्टाचार था। उस पर लगाम लगाई और केन-बेतवा लिंक परियोजना सहित कई प्रोजेक्ट को टेंडर स्टेज पर ले आए।

सुबह 9 से शाम 5 बजे तक काम

उमा भारती ने कहा कि मैं घुटने के दर्द से परेशान हूं। डॉक्टर ने कहा है कि तीन साल संतुलित दिनचर्या की जरूरत है। यात्राओं और सीढ़ी चढ़ने से अभी परहेज करना है। अभी सिर्फ सुबह 9 से शाम 5 बजे तक काम करना चाहती हूं।

जीवन के तीन गौरव

- तिरंगा यात्रा।

- सितंबर 2010 में राम मंदिर पर फैसला।

- भाजपा से अलग होने पर भी विपक्षी पार्टियों से नहीं मिली।

सबसे दुखद क्षण

-जब मां का निधन हुआ।

- मेरी भाभी की आत्महत्या।

- व्यापमं घोटाले में नाम आना।


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