उद्धव ठाकरे ने संभाला मुख्यमंत्री पद का कार्यभार, कल बुलाया गया विधानसभा का विशेष सत्र
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाल लिया है। इसी के साथ शनिवार को ठाकरे सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा सकता है।
मुंबई, एएनआइ। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर आज कार्यभार संभाल लिया है। वहीं कल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है और एनसीपी विधायक दिलीप वालसे पाटिल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। कल नवनिर्विचित ठाकरे सरकार को बहुमत साबित करना पड़ा सकता है। कार्यभार संभालने से पहले अपना आवास मातोश्री से निकलने के बाद उन्होंने पहले हुतात्मा चौक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य भी इस दौरान मौजूद रहे। सचिवालय में ठाकरे समर्थकों की भारी भीड़ जुटी हुई थी। कार्यभार संभालने से पहले ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था।
कुछ ऐसा है बहुमत का आंकड़ा
गौरतलब है कि 288 सदस्यी विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। लेकिन शिवसेना के पास महज 56 विधायक ही हैं। हालांकि, एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना तीनों के विधायकों की संख्या मिलाकर 154 है। ये बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा है। समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन देने के लिए कहा है। इसी के साथ शिवसेना ने दावा किया है कि उनके पास 162 विधायकों का समर्थन है।
बता दें कि विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने 54, कांग्रेस ने 44 और बीजेपी ने 105 सीटें जीती थी। शिवसेना और भाजपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों के बीच मतभेद होने के बाद दोनों ने गठबंधन तोड़ दिया।
ठाकरे और पीएम मोदी का रिश्ता भाई जैसे: शिवसेना
वहीं, दूसरी ओर उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनते ही शिवसेना का भाजपा को लेकर रुख थोड़ा बदल गया है। दरअसल, शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकिया छपा है। जिसमें लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे दोनों भाई जैसे हैं। भले ही शिवसेना और भाजपा गठबंधन अलग हो गया हो। आगे लिखा गया कि भले ही शिवसेना ओर भाजपा के महाराष्ट्र की राजनीति में रास्ते अलग हो गए हो लेकिन, मोदी और ठाकरे का रिश्ता भाई जैसा है।
संपादित में आगे लिखा गया कि पीएम पूरे देश के हैं और किसी एक पार्टी के नहीं हैं, और अगर इस सिद्धांत का पालन किया जाता है, तो 'अलग-अलग विचारधारा वाले राज्य सरकारों के खिलाफ कोई नाराज़गी नहीं होनी चाहिए।