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कर्जमाफी की घोषणा के बाद भी दो किसानों ने की खुदकुशी, यूरिया का भी है संकट

शाजापुर ज़िले के कालापीपल के रहने वाले 65 साल के प्रेम नारायण रघुवंशी ने 20 दिसंबर को जहर खा लिया, सोमवार को भोपाल के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 08:41 AM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 08:51 AM (IST)
कर्जमाफी की घोषणा के बाद भी दो किसानों ने की खुदकुशी, यूरिया का भी है संकट
कर्जमाफी की घोषणा के बाद भी दो किसानों ने की खुदकुशी, यूरिया का भी है संकट

भोपाल/ शाजापुर/ खंडवा(जेएनएन)। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज तो माफ कर दिया लेकिन प्रदेश में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले हफ्ते दो किसानों ने कर्ज के दबाव में आत्महत्या कर ली। वहीं राज्य में यूरिया की कमी से किसान परेशान और नाराज हैं।

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शाजापुर ज़िले के कालापीपल के रहने वाले 65 साल के प्रेम नारायण रघुवंशी ने 20 दिसंबर को जहर खा लिया, सोमवार को भोपाल के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवार के लोग कह रहे हैं कि 10 एकड़ जमीन के मालिक रघुवंशी की पिछले साल ज्यादा बारिश ने सोयाबीन की फसल ख़राब की, कम बारिश से इस बार गेंहू बर्बाद हो गया। करीब 5 लाख का लोन था और बैंक के कर्मचारी कर्ज वापसी के लिये दबाव बना रहे थे।

किसान प्रेमनारायण ने भोपाल के निजी हॉस्पिटल में दम तोड़ा। कर्ज की वजह से आत्महत्या जैसा कदम उठाए जाने की बात सामने आते ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। दोपहर बाद शव गांव में लाया गया। अंतिम संस्कार के बाद नायब तहसीलदार शत्रुघ्न चतुर्वेदी ने परिजनों के बयान लिए। बयान में बेटी दीपिका ने पिता प्रेमनारायण पर बैंकों का कर्ज होने की बात कही। अन्य परिजन ने भी लाखों रुपए का कर्ज होना बताया।

नायब तहसीलदार चतुर्वेदी ने बताया परिजनों के कथन की जांच की तो 1.75 लाख रुपए बैंकों के बकाया होने की जानकारी मिली। हालांकि , कि सान के पास 25 बीघा सिंचित जमीन है। बकाया राशि के लिए बैंकों ने कि सी प्रकार के नोटिस भी नहीं दिए। जांच में पारिवारिक विवाद एवं गांव के एक लड़के से प्रताड़ित होने की बात सामने आई है। इस वजह से प्रेमनारायण ने जहर खाया था।

खंडवा में किसान ने लगाई फांसी

वहीं शनिवार को खंडवा ज़िले के अस्तरिया में एक आदिवासी किसान ने आत्महत्या कर ली थी। मृतक किसान के परिजनों का आरोप है कि सरकार ने कर्ज माफी का ऐलान किया लेकिन राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 तक का कर्जा माफ करने की घोषणा की, इसी तनाव में करीब 3 लाख के कर्ज में डूबे 45 साल के जुवान सिंह ने जान दे दी। जुवान के भाई गुलाब सिंह ने कहा कि उन्होंने कर्जे से परेशान होकर आत्महत्या कर ली, मेरे भाई पर सरकारी बैंकों का जो कर्जा है, हम लगातार कर्ज़ा चुका रहे थे, मार्च में पलटी कर दिया था फिर लोन लिया था। लेकिन बाद में पता लगा कि पैसे दे देने पर कर्ज़ माफी नहीं मिलेगी, इसकी वजह से परेशान थे।

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के दो घंटे के अंदर ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्जमाफी के दस्तावेजों पर दस्तखत कर दिये, कहा गया कि 31 मार्च 2018 तक 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ होगा।

यूरिया की किल्लत को लेकर किसान परेशान

मध्यप्रदेश का किसान दो तरफा घिरा नज़र आ रहा है। एक तरफ जहां कर्ज से परेशान हैं, वहीं प्रदेश में खाद की कमी से किसान परेशान हैं।  सरकार ने कहा कि दिसंबर में यूरिया की मांग 3 लाख 70 हज़ार मीट्रिक टन थी, आपूर्ति हुई 1 लाख 65 हज़ार मीट्रिक टन। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उनकी दिल्ली की दौड़ काम आई, केन्द्र ने यूरिया का कोटा रिलीज किया। अब पार्टी कह रही है कि यूरिया की कालाबाज़ारी रोकना उनकी प्राथमिकता होगा।


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