Move to Jagran APP

मोदी सरकार ने 28 हजार अतिरिक्‍त जवान कश्‍मीर भेजे, हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर आर्मी-एयरफोर्स

10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती के फैसले के हफ्ते के भीतर मोदी सरकार कश्‍मीर घाटी में 28 हजार और जवानों को भेज रही है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 08:11 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 03:19 PM (IST)
मोदी सरकार ने 28 हजार अतिरिक्‍त जवान कश्‍मीर भेजे, हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर आर्मी-एयरफोर्स
मोदी सरकार ने 28 हजार अतिरिक्‍त जवान कश्‍मीर भेजे, हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर आर्मी-एयरफोर्स

श्रीनगर, एजेंसी। कश्मीर घाटी में CRPF और अन्य पैरामिलिटरी जवानों की तेजी से तैनाती के लिए सरकार ने C-17 समेत भारतीय वायुसेना के विमानों को भी सेवा में लगाया है। वहीं, कश्मीर घाटी में मौजूदा हालात के मद्देनजर सरकार ने आर्मी और एयरफोर्स को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा है। जम्‍मू-कश्‍मीर में पिछले लगभग 15 दिनों में भारी संख्‍या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती के फैसले के हफ्ते के भीतर मोदी सरकार कश्‍मीर घाटी में 28 हजार और जवानों को भेज रही है। खबरों के मुताबिक, लगभग 28 हजार जवान गुरुवार की सुबह से घाटी में पहुंचने लगे हैं और उन्हें राज्य के अलग-अलग इलाकों में तैनात किया जा रहा है। मोदी सरकार इसे आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को और मजबूती देने का कदम बता रही है। हालांकि, इतनी बड़ी संख्‍या में सुरक्षबलों की तैनाती को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि केंद्रीय बलों की तैनाती और वापसी लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।

prime article banner

सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं की जा सकती: गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती आंतरिक सुरक्षा स्थिति के आकलन और प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के आधार पर की गई है। केंद्रीय बलों की तैनाती और वापसी लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं की जा सकती।

सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्‍योंकि अमरनाथ यात्रा को भी बीच में ही 4 अगस्‍त तक के लिए स्‍थगित कर दिया गया है। सरकार इसके पीछे खराब मौसम को बड़ी वजह बता रही है। जम्‍मू-कश्‍मीर में इन दिनों कई इलाकों में भारी बारिश भी हो रही है, लेकिन मौसम विभाग की ओर से कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। कुछ लोग मोदी सरकार के इस कदम को जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 35-ए हटाने की साजिश बता रहे हैं। हालांकि, बुधवार को ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अनुच्छेद 35-ए हटाने की अटकलों को साफ खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह की कोई योजना नहीं है।

इधर, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत गुरुवार को सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए श्रीनगर पहुंच गए हैं। सेना के प्रवक्ता का कहना है कि सेना प्रमुख अगले दो दिनों तक कश्मीर में ही रहेंगे। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही केंद्र सरकार ने घाटी में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की थी। अतिरिक्त जवानों की तैनाती का फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से लौटने के बाद लिया गया था।

जम्‍मू-कश्‍मीर के स्‍थानीय राजनीति दलों के नेताओं में मोदी सरकार के इस कदम को लेकर खलबली मच गई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हमने पीएम मोदी से कहा कि रियासत में कोई ऐसे कदम न उठाए जाएं, जिससे वहां की स्थिति खराब हो। हमने 35ए और 370 का भी मामला उठाया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की मांग की।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में कहा था कि अनुच्‍छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। उन्होंने आगे कहा कि जो हाथ 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे, वो हाथ ही नहीं वो सारा जिस्म जल के राख हो जाएगा। महबूबा मुफ्ती ने घाटी में अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया मुफ्ती ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले ने घाटी के लोगों में भय जैसा माहौल पैदा कर दिया है।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.