राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पीएम मोदी को 'फादर ऑफ नेशन' कहने पर तुषार गांधी ने जताया ऐतराज
तुषार गांधी ने कहा कि आज बापू नोटों और स्वच्छ भारत अभियान जैसे प्रतीकों तक सीमित होकर रह गए हैं। 150वीं जयंती पर सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यक्रम को प्रतीकात्मक बताया।
मुंबई, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फादर ऑफ नेशन कहे जाने पर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने ऐतराज जताया है। तुषार ने ट्रंप की टिप्पणी पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन की जगह लेना चाहते हैं। उन्होंने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे कार्यक्रम को केवल प्रतीकात्मक बताया।
पिछले सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए ट्रंप ने कहा था कि पहले भारत बहुत बंटा हुआ था। वहां असंतोष था और बहुत लड़ाई-झगड़े होते थे। मोदी फादर ऑफ नेशन की तरह पूरे देश को एकसाथ लाए।
जार्ज वाशिंगटन की जगह लेना चाहते हैं ट्रंप : तुषार गांधी
24 सितंबर को ट्रंप द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तुषार ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि भारत के राष्ट्रपिता को किसी नए से बदले जाने की जरूरत है तो उसका स्वागत है। तुषार ने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा कि चाहें तो वह संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापकों में से एक रहे जार्ज वाशिंगटन की जगह ले सकते हैं। 59 वर्षीय तुषार गांधी पत्रकार अरुण गांधी के बेटे हैं और महात्मा गांधी के पुत्र मणिलाल के पोते हैं।
..तो मुझे भी बापू की पूजा करने का अधिकार है
जब पूछा गया कि दक्षिणपंथियों का एक धड़ा गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या का महिमामंडन करने की कोशिश कर रहा है तो इस पर तुषार ने कहा कि इस बात का फैसला समय ही करेगा कि क्या बेहतर था। उन्होंने कहा कि जो लोग घृणा और हिंसा की पूजा करते हैं, वह गोडसे की भी प्रशंसा कर सकते हैं। मेरे मन में ऐसे लोगों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। अगर यह उनका अधिकार है तो मुझे भी बापू की पूजा करने का अधिकार है। मैं उनका स्वागत करता हूं।
प्रतीकों तक सीमित होकर रह गए हैं बापू
सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाए जाने पर तुषार ने कहा कि इस तरह के आयोजन मात्र अब प्रतीकात्मक रह गए हैं। महात्मा गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी तुषार ने कहा कि बापू के संदेशों व उनकी विचारधारा को जीवन के किसी भी क्षेत्र में लागू किया जा सकता है, लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसा हो नहीं रहा है। तुषार ने कहा कि आज बापू नोटों और स्वच्छ भारत अभियान जैसे प्रतीकों तक सीमित होकर रह गए हैं।