MP Political Crisis: संकटग्रस्त सरकार ने तीन नए जिले बनाने का लिया फैसला, नाराज विधायकों को साधने की कोशिश
सियासी संकट में घिरी कांग्रेस सरकार के ऊपर सतना जिले के मैहर और गुना जिले के चाचौड़ा को जिला बनाने का काफी दबाव था।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। सियासी संकट में फंसी मध्य प्रदेश की कमल नाथ सरकार ने बुधवार को प्रदेश में तीन नए जिले बनाने का सैद्धांतिक फैसला कर लिया। मैहर, चाचौड़ा और नागदा नए जिले बनाए जाएंगे। इन्हें मिलाकर राज्य में 55 जिले हो जाएंगे। इस फैसले से सरकार ने भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (मैहर) के साथ ही तेवर दिखा रहे कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) और दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा) को साधने की कोशिश की है। अब राजस्व विभाग नए जिलों का गठन करने के लिए अधिसूचना जारी कर दावे-आपत्ति आमंत्रित करेगा। इनकी सुनवाई के बाद अंतिम कार्रवाई होगी।
मैहर, चाचौड़ा और नागदा को जिला बनाने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी
मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में आधा दर्जन से ज्यादा प्रस्तावों पर निर्णय लिए गए। राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि मैहर, चाचौड़ा और नागदा को जिला बनाने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। सूत्रों के मुताबिक सियासी संकट में घिरी कांग्रेस सरकार के ऊपर सतना जिले के मैहर और गुना जिले के चाचौड़ा को जिला बनाने का काफी दबाव था।
भाजपा विधायक को साधने की कोशिश
माना जा रहा है कि मैहर जिला बनाने का निर्णय लेकर कमल नाथ सरकार ने भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी को साधने की कोशिश की है। वे सोमवार से ही मुख्यमंत्री के संपर्क में हैं। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक हैं और लंबे समय से चाचौड़ा को जिला बनाने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह गुर्जर भी उज्जैन जिले के नागदा को अलग जिला बनाने की मांग कर रहे थे।
अल्पमत सरकार के फैसले निरस्त होंगे- नरोत्तम मिश्रा
भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कमल नाथ सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे निर्णयों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पमत की सरकार को नीतिगत फैसले करने का नैतिक अधिकार नहीं है। ऐसे सभी फैसले निरस्त होंगे।
नवनियुक्त आयोगों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया
बीते दो-तीन दिनों में विभिन्न आयोगों में धड़ाधड़ नियुक्तियां कर अंदरखाने समीकरण साधने की कोशिश के बाद बुधवार को कमल नाथ सरकार ने विभिन्न आयोगों में नामित किए पांच अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया। आदेश के मुताबिक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया और युवा आयोग के अध्यक्ष अभय तिवारी को बुधवार से कैबिनेट मंत्री के स्तर का दर्जा दे दिया गया।
राज्यपाल ने स्पीकर को लिखा, लगता है आपने मुझे त्रुटिवश पत्र भेजा
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति द्वारा विधायकों की सुरक्षा की मांग संबंधी राज्यपाल लालजी टंडन को लिखे पत्र का जवाब देते हुए राज्यपाल ने कहा, 'लगता है आपने मुझे त्रुटिवश यह पत्र भेज दिया। सुरक्षा का दायित्व कार्यपालिका का है और आप उससे ही सुरक्षा चाहते होंगे।' स्पीकर के सवालों पर राज्यपाल ने कहा, 'बताएं किस नियमावली के तहत मुझसे यह अपेक्षा की गई है?'
स्पीकर प्रजापति ने बेंगलुरु में मौजूद 16 विधायकों की सुरक्षा पर चिंता जताई थी
गौरतलब है कि स्पीकर प्रजापति ने मंगलवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर बेंगलुरु में मौजूद उन 16 विधायकों की सुरक्षा पर चिंता जताई थी जो पिछले एक हफ्ते में एक से अधिक बार बयान दे चुके कि वे सुरक्षित हैं और बगैर किसी दबाव के बेंगलुरु में हैं।
सत्ता के संकट को लेकर मुख्यमंत्री और राजभवन के बीच चल रहा 'पत्र-युद्ध'
मध्यप्रदेश में चल रहे सत्ता के संकट को लेकर मुख्यमंत्री और राजभवन के बीच चल रहे 'पत्र-युद्ध' के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल को मंगलवार को पत्र लिखा था जिसका जवाब राज्यपाल ने बुधवार तड़के भेजा।
राज्यपाल ने की स्पीकर की प्रशंसा
राज्यपाल ने लिखा, 'विधायकों की सुरक्षा के संबंध में आपकी चिंता की प्रशंसा करता हूं, 8-10 दिन से आप जिस पीड़ा से गुजर रहे होंगे उसका मुझे अंदाजा है। 22 में से 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाने की निर्णय को साहसपूर्ण बताया। साथ ही तंज कसा कि आप इससे जुड़ी प्रक्रिया से अवगत हैं ही और यह भी बताया बाकी विधायकों के त्यागपत्र आवेदन के निराकरण में आपको हो रहे असमंजस का मुझे अहसास भी है।'
राज्यपाल स्पीकर की चिंता और कष्ट का समाधान करने को आतुर
लापता विधायकों से राज्यपाल को मिल रहे पत्रों का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विधायकों ने मुझ से अपनी किसी समस्या का जिक्र नहीं किया। उनके वीडियो लगातार मीडिया में भी आ रहे हैं और अब वे सर्वोच्च न्यायालय में भी पहुंच गए हैं। राज्यपाल ने स्पीकर से यह भी कहा कि मुझे हर्ष होगा कि किसी भी रूप में आपकी वर्तमान चिंता और कष्ट का समाधान कर सकूं।