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त्रिपुरा: पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान, CAA से नागरिक बनने के बाद भी बाहरियों को यहां नहीं रहने देंगे

त्रिपुरा के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत किशोर माणिक्य देब बर्मन ने कहा है कि सीएए लागू होने के बाद आने वाले नागरिकों को अपने राज्य में नहीं रहने देंगे।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 09:41 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 09:41 AM (IST)
त्रिपुरा: पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान, CAA से नागरिक बनने के बाद भी बाहरियों को यहां नहीं रहने देंगे
त्रिपुरा: पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान, CAA से नागरिक बनने के बाद भी बाहरियों को यहां नहीं रहने देंगे

अगरतला, प्रेट्र। त्रिपुरा के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और शाही घराने के उत्तराधिकारी प्रद्योत किशोर माणिक्य देब बर्मन ने शनिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद देश के नागरिक बनने वाले अवैध शरणार्थियों को अपने राज्य में नहीं रहने देंगे। बर्मन ने हाल ही में त्रिपुरा इंडिजेनस प्रोग्रेसिव रिजनल अलायंस (टीआइपीआरए) का गठन किया था।

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बर्मन ने कहा कि देश के बंटवारे के समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में शरणार्थी उनके राज्य में आकर बस गए थे। अब और अधिक लोगों के लिए उनके राज्य में जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सीएए के लागू होने के बाद बड़ी संख्या में बाहर से आए लोग देश के नागरिक बन जाएंगे, लेकिन उनमें से किसी को भी हमारे राज्य में नहीं बसाया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सीएए के बाद देश के नागरिक बने बाहरी लोगों को त्रिपुरा को छोड़कर गुजरात, तमिलनाडु या देश के किसी भी अन्य हिस्से में बसाने का अनुरोध किया।

मेघालय को सीएए से बाहर रखने की मांग

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड के. संगमा ने शिलांग में शनिवार को मांग की कि उनके पूरे राज्य को सीएए के दायरे से बाहर रखा जाए। उन्होंने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर के देसी समुदाय के संरक्षण के लिए भी कदम उठाने का अनुरोध किया। मेघालय के अनुसूचित क्षेत्रों को अभी सीएए से बाहर रखा गया है। लेकिन संगमा ने राज्य के गैर अनुसूचित क्षेत्रों के साथ ही असम को भी इस कानून के दायरे से बाहर रखने की मांग की है।

गौरतलब है कि कानून के अनुसार, यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं। इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है।


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