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तीन तलाक अध्यादेश पर बोले ओवैसी- इससे मुस्लिम महिलाओं को नहीं मिलेगा न्याय...

लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों ने संसद में विधेयक में संशोधन की मांग की थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 04:02 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:02 PM (IST)
तीन तलाक अध्यादेश पर बोले ओवैसी- इससे मुस्लिम महिलाओं को नहीं मिलेगा न्याय...
तीन तलाक अध्यादेश पर बोले ओवैसी- इससे मुस्लिम महिलाओं को नहीं मिलेगा न्याय...

नई दिल्‍ली, एएनआइ। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक साथ तीन तलाक के खिलाफ अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी।तीन तलाक देना अब अपराध है। इससे मुस्लिम महिलाओं को अब इंसाफ मिल सकेगा। लेकिन विपक्षी पार्टियां इस अध्‍यादेश को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बता रही हैं। कांग्रेस का तो कहना है कि मोदी सरकार का यह कदम राजनीति से प्रेरित है।

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक साथ तीन तलाक के खिलाफ लाए गए अध्यादेश पर कहा कि यह अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। इस अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा। उन्‍होंने कहा, 'देखिए, इस्लाम में शादी एक सामाजिक अनुबंध है और उसमें सज़ा के प्रावधान को जोड़ना गलत है। यह अध्यादेश असंवैधानिक है। यह अध्यादेश संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है, क्योंकि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए बनाया गया है।' ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा महिला संगठनों को इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए।

उधर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार एक साथर तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए मुद्दा नहीं बना रही है, बल्कि वह इसे राजनैतिक मुद्दा बना रही है। केंद्र का यह कदम राजनीति से प्रेरित है, जो अगामी 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए उठाया गया है।

बता दें कि बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इंस्टैंट ट्रिपल तलाक के खिलाफ अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी कि इस अध्यादेश का मुख्य पहलू यह है कि यह अपराध उसी स्थिति में संज्ञेय माना जाएगा, जब एफआइआर पीड़ित महिला खुद दर्ज करवाए, या उसके रक्त संबंधी अथवा शादी से बने रिश्तेदार दर्ज करवाएंगे।

गौरतलब है कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों ने संसद में विधेयक में संशोधन की मांग की थी। हालांकि संशोधन के बावजूद यह विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया था। बतादें कि यह अध्यादेश छह महीने तक लागू रहेगा। इस दौरान सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा। तीन तलाक बिल इससे पहले संसद के बजट सत्र और मानसून सत्र में पेश किया गया था।


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