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तीन तलाक पर बड़ा फैसला, मोदी सरकार ने अध्यादेश को दी मंजूरी

मोदी सरकार ने तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक काफी समय से राज्यसभा में लंबित था।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 12:16 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:22 PM (IST)
तीन तलाक पर बड़ा फैसला, मोदी सरकार ने अध्यादेश को दी मंजूरी
तीन तलाक पर बड़ा फैसला, मोदी सरकार ने अध्यादेश को दी मंजूरी

नई दिल्ली, जेएनएन। मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पर बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। तीन तलाक देना अब अपराध माना जाएगा। बता दें कि नए बिल में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा।

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गौरतलब है कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस समेत अन्य दलों ने संसद में विधेयक में संशोधन की मांग की थी। हालांकि संशोधन के बावजूद यह विधेयक राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया था। बतादें कि यह अध्यादेश छह महीने तक लागू रहेगा। इस दौरान सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा। तीन तलाक बिल इससे पहले संसद के बजट सत्र और मानसून सत्र में पेश किया गया था।

रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को घेरा
तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी देने के कैबिनेट के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया ने इस मामले को विस्तार से छापा है। इस दौरान कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वोट बैंक के दबाव में कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को समर्थन नहीं दिया। कांग्रेस के विरोध को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'अगर कांग्रेस पार्टी को इंसाफ और इंसानियत में भी राजनीति दिखाई देती है तो उसे समझाने का काम हमारा नहीं है।' इसके अलावा उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती को इस मुद्दे पर सरकार का साथ देना चाहिए।

उन्होंने कहा, 'भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी। तीन तलाक का यह मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का मुद्दा है।' उन्होंने कहा कि अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब खुद पीड़ित महिला या उसके परिजन शिकायत करेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ पीड़िता पत्नी ही चाहेगी तभी समझौता होगा। मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है, मगर वह भी पीड़िता की सहमति से ही। उन्होंने कहा, अन्य प्रावधान के संबंध में, मां/पीड़ित पत्नी को नाबालिग बच्चे की कस्टडी मिलनी चाहिए। वो खुद अपने लिए (पीड़िता) और अपने बच्चे के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित रखरखाव की हकदार होगी।

 

वहीं, इस अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की जीत हुई है। महिलाओं ने कट्टरपंथी तबके से टकराते हुए मामले को समाज में लाने काम किया और सुप्रीम कोर्ट तक गईं। कट्टरपंथी समाज के खिलाफ हिंदू और मुस्लिम समाज समेत सभी लोग पीड़ित महिलाओं के साथ हैं। रिजवी ने कहा कि अब हम परिवार में लड़कियों की हिस्सेदारी के लिए भी आगे लड़ाई लड़ेंगे।

कांग्रेस का भाजपा पर आरोप
कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार इसे मुस्लिम महिलाओं के लिए न्याय का मुद्दा नहीं बना रही है, बल्कि सरकार इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है।


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