सियासी घमासान के बीच तीन तलाक बिल की राज्यसभा में रुकी राह
सियासी रस्साकशी में तीन तलाक बिल के राज्यसभा में शीत सत्र में पारित होने की अब कोई गुंजाइश नहीं दिख रही।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तीन तलाक बिल का सियासी घमासान राज्यसभा में लगातार दूसरे दिन जारी रहा। विपक्ष बिल को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमिटी) में भेजने की विपक्ष की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहा। तो सरकार भी विपक्ष की मांग के आगे झुकने को तैयार नहीं। इस सियासी रस्साकशी में तीन तलाक बिल के राज्यसभा में शीत सत्र में पारित होने की अब कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। बिल को सियासी भंवर में फंसता देख सरकार ने विपक्ष पर फिर इसकी राह रोकने का आरोप लगाया है।
राज्यसभा में नेता सदन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमिटी भेजे जाने की कोशिशों को इस बिल को लटकाने का विपक्ष का प्रयास करार दिया। उनका कहना था कि विपक्ष ने अपने प्रस्ताव में सेलेक्ट कमिटी के लिए जिन लोगों को आगे किया है वे इस बिल को वास्तव में खत्म करना चाहते हैं। इतना ही नहीं जेटली ने सेलेक्ट कमिटी के लिए विपक्ष का संशोधन 24 घंटे पहले नहीं आया और नियम के हिसाब से यह वैध नहीं है। साथ ही सेलेक्ट कमिटी के लिए दिये सदस्यों के नाम पूरे सदन के स्वरुप का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वित्तमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने सेलेक्ट कमिटी में बिल को भेजकर इसे लटकाना पहले से तय कर रखा है। इसीलिए सरकार इसे सेलेक्ट कमिटी में भेजने को तैयार नहीं है।
राज्यसभा में तीन तलाक का यह मसला दूसरे दिन तब आया जब अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक चर्चा के बाद जीएसटी बिल पर बहस शुरू हो रही थी। सपा के नरेश अग्रवाल समेत विपक्ष के तमाम सदस्यों ने उपसभापति पीजे कुरियन ने तीन तलाक बिल पर विपक्ष के दोनों वैध संशोधनों पर मतविभाजन की बुधवार की मांग पर फैसला देने को कहा। विपक्ष का कहना था कि पहले तीन तलाक बिल के अधूरे मसला का निपटारा हो तब जीएसटी बिल लिया जाए। सरकार ने गुरुवार को एजेंडा में तीन तलाक को जीएसटी के बाद रखा था। इस पर बिल को प्रवर समिति में नहीं भेजने के सरकार के इरादे को साफ कर दिया। साथ ही कांग्रेस पर बिल का विरोध करने का आरोप लगाया।
नेता विपक्ष गुलाम नबी ने जेटली के आरोपों पर एतराज करते हुए कहा कि यह गलत प्रचार फैलाया जा रहा कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष तीन तलाक बिल के खिलाफ है। हकीकत में हमारी आपत्ति केवल इस बात पर है कि मौजूदा बिल के प्रावधानों के हिसाब से तीन तलाक पर पति जेल जाएगा तब उसके जेल में रहने के दौरान पत्नी का गुजारा कौन चलाएगा। उन्होंने कहा कि इसके जरिये सरकार ने मुस्लिम औरतों को खत्म करने का प्रबंध कर दिया है। इसलिये हमारा आग्रह है कि गुजारे की व्यवस्था कर दीजिये और हमें बिल पर कोई एतराज नहीं है।
अपने-अपने तर्कों को लेकर सरकार और विपक्षी खेमे के बीच जमकर तकरार हुई। इस दौरान सरकार की ओर से सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी ने कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष पर मुस्लिम महिलाओं को हक से वंचित करने के आरोप लगाये। तो तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि सरकार केवल तीन तलाक पर राजनीति कर रही है और हक दिलाने का दिखावा कर रही।
इस तकरार के बीच तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय और कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि पहले उनके संशोधन प्रस्ताव पर फैसला हो तभी जीएसटी संशोधन बिल पर बहस करायी जाए। उपसभापति ने कहा कि बेशक इन दोनों का प्रस्ताव वैध है और सभापति ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के एजेंडा में जीएसटी बिल पहले है और इसके बाद ही तीन तलाक का बिल लिया जाएगा। मगर शाम साढे पांचे बजे पूरी हुई चर्चा के बाद विपक्ष तीन तलाक को पहले लेने पर अड़ा रहा और इसी तकरार में सदन को करीब पौने छह बजे पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
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