राज्यसभा में भारी हंगामा के चलते पेश नहीं हो सका तीन तलाक विधेयक
सरकार की ओर से हंगामा कर रहे सांसदों को शांत कराने की कई कोशिशें हुई, लेकिन कुछ भी नतीजा नहीं निकला।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी हंगामा के चलते राज्यसभा में बुधवार को भी तीन तलाक विधेयक पेश नहीं किया जा सका। कावेरी मुद्दे पर पूरे सत्र में हर रोज हंगामा काटने वाले तमिलनाडु की दोनों दलों एआईडीएमके और डीएमके का शोर शराबा जारी रहा। सभापति वेंकैया नायडू ने आजिज आकर दोनों दलों के सदस्यों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें दिनभर के लिए निलंबित कर दिया।
एआईडीएमके व डीएमके सासंदों के निलंबन से भी नहीं बनी बात
हंगामा और शोर शराबा के चलते राज्यसभा में सभापति नायडू ने आखिरकार सदन को पूरे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। इसके पूर्व नायडू ने सदन को चलाने के लिए सदस्यों से अपील की। इसके वाबजूद एआईडीएमके और डीएमके के सांसद कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। वेल में आकर हंगामा करने लगे। सभापति ने इस दौरान सदन को कुछ समय के लिए स्थगित कर सभी दलों के सदस्यों के साथ बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की।
विपक्ष बिल को पहले से ही प्रवर समिति को भेजने की कर रहा था मांग
हंगामा कर रहे सांसदों को इस दौरान जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से बयान दिलाकर मनाने की कोशिश भी हुई। मंत्री को सदन में बुलाया भी गया, लेकिन सारी कोशिशें फेल रही। इसके बाद तो नाराज सभापति ने हंगामा कर रहे एआईडीएमके और डीएमके सांसदों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया और सदन छोड़ने के लिए कहा। इसके बाद भी वह सदन से नहीं निकले।
इस बीच सासंदों के निलंबन को खत्म कराने की कोशिशें भी हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सदन के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, एनसीपी नेता शरद पवार और तृणमूल पार्टी के सासंद डेरेक ओबेराय ने इसे लेकर सभापति नायडू से मुलाकात की और सांसदों का निलंबन खत्म करने की मांग की।
हंगामे के चलते सदन को कई बार स्थगित भी करना पड़ा। इस बीच सरकार की ओर से हंगामा कर रहे सांसदों को शांत कराने की कई कोशिशें हुई, लेकिन कुछ भी नतीजा नहीं निकला। सरकार ने इस दौरान अपने कामकाज की सूची में बुधवार के जो विषय तय किया था, उनमें तीन तलाक सहित कुल तीन बिल थे।
हालांकि इस सूची में तीन तलाक को सबसे नीचे रखा गया था, लेकिन तैयारी यह थी, कि यदि सदन चला, तो सबसे पहले इसी पर चर्चा कराई जाएगी। गौरतलब तलब है कि यह संशोधित तीन तलाक बिल लोकसभा से पारित हो चुका है। हालांकि विपक्ष इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग को लेकर अड़ा हुआ है।