मप्र में साहूकारों के चंगुल से मिलेगा आदिवासियों को छुटकारा, ब्याज दर तय करेगी सरकार
मध्य प्रदेश विधानसभा ने सोमवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक-साहूकारी संशोधन और अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक पारित कर दिए। अब राज्य में कोई भी साहूकार मनमर्जी से ब्याज दर तय नहीं कर सकेगा। ब्याज दर मध्य प्रदेश सरकार तय करेगी।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश विधानसभा ने सोमवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक-साहूकारी संशोधन और अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक पारित कर दिए। अब राज्य में कोई भी साहूकार मनमर्जी से ब्याज दर तय नहीं कर सकेगा। ब्याज दर सरकार तय करेगी।
आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से मिलेगी मुक्ति
गैर लाइसेंसी साहूकार द्वारा दिया गया उधार या कर्ज भी वसूल नहीं किया जा सकेगा। इसी तरह अधिसूचित क्षेत्रों (अनुसूचित जनजाति क्षेत्र) में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को 15 अगस्त 2020 तक दिया कर्ज भी शून्य होगा। इस विधेयक के पारित हो जाने से प्रदेश के आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी।
साहूकारी संशोधन और अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक विधानसभा में पारित
केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने दोनों विधेयक सदन में प्रस्तुत किए, जो बिना चर्चा ही पारित कर दिए गए। इसके तहत अधिसूचित क्षेत्र ([89 विकासखंड)] के अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों द्वारा गैर लाइसेंसी साहूकारों से 15 अगस्त 2020 तक लिया गया ऋण नहीं चुकाना होगा। ऋण देने के लिए जो वस्तु या दस्तावेज गिरवी रखे होंगे, वो भी लौटाने होंगे। अधिनियम के प्रभावी होने के बाद जबरन वसूली का मामला सामने आने पर जमानती अपराध दर्ज किया जाएगा। इसके पहले 1982 में मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण विमुक्ति अधिनियम लाया गया। इसमें सीमांत कृषक, भूमिहीन कृषि श्रमिक, ग्रामीण कारीगर और छोटे कृषक के ऋण शून्य घोषित किए गए थे। इसके अलावा विधानसभा ने विनियोग और वित्त विधेयक के साथ वैट अधिनियम, मध्य प्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक पारित कर दिए।
साहूकार अधिनियम में ये हैं प्रविधान
-यदि ग्रामसभा यह तय कर लेती है कि उसके क्षेत्र में साहूकारी व्यवसाय नहीं होगा तो वहां लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
- प्रतिबंध के बावजूद कोई साहूकारी करता है तो दो हजार रुपये जुर्माना लगेगा। यदि दोबारा प्रविधान का उल्लंघन पाया जाता है तो पांच हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा।
- अधिसूचित क्षेत्र में प्रविधान का उल्लंघन करने पर दस हजार रुपये जुर्माना और दो वर्ष तक कारावास हो सकता है। ऋण विमुक्ति अधिनियम में यह प्रविधान
- कोई भी लेनदार, ऋणी को गिरवी या बंधक रखी संपत्ति को लौटाने से इन्कार नहीं करेगा।
- किसी भी सिविल न्यायालय में अधिनियम के तहत शून्य किए गए ऋण के मामले सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
- पंजीकृत और नियम-प्रक्रियाओं में विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा दिए गए ऋण इस अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगे।
शहरों में जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी दो फीसद कम होगी
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने नगर पालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किया। इसके तहत नगरीय निकाय क्षेत्रों में अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क में तीन फीसद अतिरिक्त शुल्क को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है। यह प्रविधान 31 दिसंबर 2020 तक प्रभावी रहेगा। कोरोना संक्रमण की वजह से प्रभावित हुई रियल एस्टेट क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए शिवराज सरकार ने अतिरिक्त शुल्क में छूट देने निर्णय अध्यादेश के माध्यम से लागू किया था।