व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू करेंगे भारत-ईयू, कश्मीर व सीएए पर ईयू ने भारतीय व्यवस्था पर जताया भरोसा
पीएम नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ के साथ्थ भारत और चीन संबंध और सीमावर्ती क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति को लेकर विचार साझा किया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत और यूरोपीय संघ सात वर्षों बाद एक व्यापक कारोबारी व निवेश समझौते पर बातचीत नए सिरे से शुरू करने को तैयार हो गये हैं। इसके लिए दोनो पक्षों के बीच एक उच्च स्तर की मंत्रिस्तरीय वार्ता शुरू की जाएगी जो अगले महीने से ही अपना काम शुरू कर देगी ताकि जल्द से जल्द द्विपक्षीय निवेश व कारोबार समझौते को मूर्त रूप दिया जा सके।
भारत और यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर बैठक (वर्चुअल मीडिया पर) बुधवार को संपन्न हुई जिसमें चीन व पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों, कश्मीर की स्थिति जैसे संवेदनशील मुद्दों के अलावा भावी सैन्य व रणनीतिक सहयोग को प्रगाढ़ करने, हिंद महासागर में सामुद्रिक व नौ सैनिक संबंधों को मजबूत बनाने जैसे बेहद अहम मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाएगा यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह भारत के साथ रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाएगा। कश्मीर और मानवाधिकार के मुद्दे को यूरोपीय संघ की तरफ से काफी मजबूती से उठाया। वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए संयुक्त सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप के मुताबिक, ''ईयू की प्रेसिडेंट चार्ल्स मिशेल ने बैठक में बताया कि फरवरी, 2020 में विदेश सचिव की ब्रूसेल्स यात्रा के दौरान कश्मीर पर बात हुई थी और अब उन्हें इस मुद्दे की ज्यादा बेहतर समझ है। साथ ही यूरोपीय संघ ने अपनी प्रेस वार्ता में भी भारतीय व्यवस्था पर भरोसा जताया है कि वह इन मुद्दों को सुलझा सकता है।''
सीएए को लेकर कहा, भारतीय संस्थानों पर भरोसा
उधर, मिशेल ने अपनी प्रेस वार्ता में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर प्रेसिडेंट मिशेल ने कहा कि यह हमारे संसद में एक प्रमुख मुद्दा है, हमने इसे पीएम (नरेंद्र मोदी) के साथ उठाया। हम भारतीय संस्थानों पर भरोसा करते हैं। हम समझते हैं कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट की भी भूमिका होगी। हम इस बारे में आगे भी भारतीय अथॉरिटीज से बात करते रहेंगे कि इस अहम मुद्दे को किस तरह से आगे सुलझाया जाए।''
भारत-ईयू रिश्तों को लेकर ज्यादा गतिशील एजेंडा जोर
जाहिर है कि कश्मीर का मुद्दा उठा लेकिन द्विपक्षीय रिश्तों की व्यापकता के सामने दोनो पक्ष इस पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे। पीएम मोदी ने जहां ईयू को भारत का स्वभाविक साझेदार बताया क्योंकि दोनो पक्ष लोकतंत्र, बहुवाद, अंतरराष्ट्रीय कानून का आदर जैसे मुद्दों पर भरोसा करते हैं। उन्होंने भारत-ईयू रिश्तों को लेकर एक ज्यादा गतिशील एजेंडा बनाने की बात कही। यूरोपीय संघ की प्रेसिडेंट मिशेल ने कहा कि, ''हम भविष्य में भारत के साथ ज्यादा मजबूत रणनीतिक रिश्ता चाहते हैं। भारत हम पर भरोसा कर सकता है और हम भी भारत पर एक महत्वपूर्ण साझेदार के तौर पर भरोसा करते हैं।''
दोनों पक्षों ने तीन तरह की घोषणा-पत्र जारी किये, अगले पांच वर्षो का एजेंडा तैयार
बैठक के बाद भारत-ईयू रणनीतिक साझेदार: 2025 का रोडमैप नाम से एक प्रपत्र जारी किया। इसमें सैन्य साझेदारी को बढ़ाने के लिए डिफेंस व सुरक्षा से जुड़े वार्ता को और तेज करने की बात कही गई है। हिंद महासागर में सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर आपसी सहयोग को भी प्रगाढ़ करने की बात गई है। इसके लिए दोनो पक्षों के बीच नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने की व्यवस्था की जाएगी।
शिखर वार्ता के बाद तीन प्रपत्र जारी किये। अगले पांच वर्षों के लिए रणनीतिक लक्ष्यों के अलावा संयुक्त घोषणा पत्र और स्वच्छ ऊर्जा पर भी एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया गया। इसका महत्व इसलिए है कि कुछ दिन पहले ही यूरोपीय संघ और चीन के बीच भी शिखर बैठक थी लेकिन उसके बाद कोई भी संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं किये गये थे।