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CBI बनाम बंगाल पुलिस: पश्चिम बंगाल के अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी

West Bengal के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, डीजीपी विरेंद्र कुमार और कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 07:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 12:52 AM (IST)
CBI बनाम बंगाल पुलिस: पश्चिम बंगाल के अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी
CBI बनाम बंगाल पुलिस: पश्चिम बंगाल के अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी

 नई दिल्ली, प्रेट्र। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, डीजीपी विरेंद्र कुमार और कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है। तीनों शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ ने सारधा चिट फंड कोष घोटाला मामले में अवमानना याचिका दायर की थी। पश्चिम बंगाल सरकार और उसकी पुलिस ने जांच एजेंसी के आरोपों का खंडन किया है।

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केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि उन्होंने घोटाला मामले की जांच में बाधा डालने की कोशिश की थी। राज्य पुलिस ने जोर दिया है कि सीबीआइ तीन फरवरी को बिना वैध कागजात के ही कोलकाता पुलिस आयुक्त के आवास में जबरन घुसने की कोशिश की थी।

तीनों अधिकारियों ने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य पुलिस ने किसी भी तरह से जांच में बाधा नहीं डाली। न ही किसी अधिकारी ने सीबीआइ को सहयोग करने से मना किया है। अधिकारियों ने अपने खिलाफ अवमानना याचिका का विरोध किया है।

सीबीआइ ने अपनी याचिका में कहा है कि अधिकारियों ने सबूत के साथ छेड़छाड़ की है और जांच से संबंधित शीर्ष कोर्ट के विभिन्न आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

अधिकारियों ने कहा है कि सीबीआइ को पर्याप्त सबूत के बगैर संदिग्ध आरोप नहीं लगाने का निर्देश देने की जरूरत है। तीन फरवरी की घटना का उल्लेख करते हुए पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि सीबीआइ बिना वैध कागजात के उनके घर में जबरन घुसने की कोशिश की थी।

डीजीपी ने अपने शपथ पत्र में उनके तर्क का समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि सीबीआइ की कार्रवाई के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब धरना दे रही थी तब कोई भी पुलिस अधिकारी मंच पर नहीं गया था।

कुमार पर सीबीआइ ने कॉल डिटेल रिकार्ड सहित इलेक्ट्रानिक सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में उन्होंने कहा है कि कभी भी सुबूत, सामग्री या दस्तावेज उनके अधिकार में नहीं थे।

शीर्ष कोर्ट ने पांच फरवरी को सभी अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। उनसे सीबीआइ के आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शपथ पत्र देखने के बाद अधिकारियों को 20 फरवरी के पेश होने पर फैसला लिया जाएगा। शीर्ष कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल तीनों अधिकारियों को 19 फरवरी को सूचित करेंगे कि उन्हें पेश होना या नहीं।


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