मौसम की भविष्यवाणी आसान बनाने के लिए अंतरिक्ष नियमों को उदार बनाए मोदी सरकार
सरकार को मौसम की भविष्यवाणी आसान बनाने के लिए अंतरिक्ष संबंधी नियमों को उदार बनाना चाहिए। हम अपना सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजना चाहते हैं लेकिन फिलहाल नियम काफी जटिल हैं।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। स्काइमेट ने मौसम की भविष्यवाणी के क्षेत्र में अहम पहचान बनाई है। पिछले कुछ वर्षो में मानसून के संबंध में कंपनी की भविष्यवाणी काफी हद तक वास्तविकता के करीब रही है। दिल्ली में मानसून कब दस्तक देगा, स्काइमेट कौन सी नई सेवाएं शुरू करने जा रही है? कंपनी की आगे क्या योजनाएं हैं? ऐसे ही कई सवालों को लेकर विशेष संवाददाता हरिकिशन शर्मा ने स्काइमेट वेदर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के एमडी जतिन सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश:
- मानसून दिल्ली में कब दस्तक देगा?
मानसून का सबको इंतजार है। यह सात से 10 जुलाई के बीच दिल्ली पहुंचेगा।
- मौसम की भविष्यवाणी के क्षेत्र में थोड़े ही समय में स्काइमेट ने पहचान बनाई है। कंपनी के पास भविष्यवाणी का तंत्र कैसा है?
हमारे पास देशभर में 6.5 हजार अत्याधुनिक स्वचालित मौसम केंद्र (ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन) हैं। भारतीय मौसम विभाग की तुलना में हमारे केंद्रों की संख्या ज्यादा है। वर्ष 2012 में हमारे मौसम केंद्रों की संख्या मात्र तीन थी। हमारी कंपनी लगातार अत्याधुनिक उपकरणों में निवेश कर रही है ताकि सेवा का उपयोग करने वालों को मौसम की सटीक जानकारी मिले। हमारे पास ड्रोन, आकाशीय बिजली व फसलों के सेंसर का नेटवर्क है।
- आपकी कंपनी कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी काम करती है। इस क्षेत्र में नई पहल क्या है?
हमने कुछ दिन पहले ही खरीफ की फसलों का पूर्वानुमान जारी किया है। साल में तीन बार इसे जारी किया जाएगा - जून, अगस्त और अक्टूबर। इसी तरह नवंबर, मार्च और मई में रबी फसलों के उत्पादन से संबंधित पूर्वानुमान जारी किए जाएंगे।
- इसके अलावा और कौन सी नई सेवाएं शुरू करने जा रहे हैं?
हम मुंबई में बाढ़ की समस्या पर भविष्यवाणी जारी करने की तैयारी कर रहे हैं। इस हफ्ते इसे जारी कर दिया जाएगा।
- क्या भारत के बाहर भी मौसम सेवाएं मुहैया कराने की योजना है?
फिलहाल हमारा पूरा फोकस भारत पर है। लेकिन हम पड़ोसी बांग्लादेश और श्रीलंका में भी कुछ सेवाएं मुहैया कराते हैं।
- मानसून में विलंब होने पर किसानों को खामियाजा उठाना पड़ता है। उन्हें कई बार बीमा का लाभ भी नहीं मिलता। क्या इसका कुछ हल आपके पास है?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सबसे बड़ी परेशानी उपज का आकलन करने की हो रही है। पिछले चार पांच साल में मौसम विज्ञान के आंकड़े अच्छे आ रहे हैं। ऐसे में इन आंकड़ों का इस्तेमाल होना चाहिए। हम ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल एक दिन के भीतर किसानों को क्लेम दे सकते हैं। इसलिए सरकार को इस योजना के तहत क्लेम का आधार उपज को बनाने के बजाय मौसम के आंकड़ों को बनाना चाहिए।
- आपको सरकार से किस तरह की उम्मीदें हैं?
सरकार को मौसम की भविष्यवाणी आसान बनाने के लिए अंतरिक्ष संबंधी नियमों को उदार बनाना चाहिए। हम अपना सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल नियम काफी जटिल हैं। इसी तरह यूएवी यानी अनमेन्ड एरियल व्हीकल से संबंधित नियमों को भी सरल बनाने की दरकार है। इसके साथ ही सरकार को निजी कंपनियों को भी रक्षा संगठनों, हवाई अड्डों पर मौसम संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने की अनुमति देनी चाहिए।
- अंतरिक्ष के नियमों से आपको क्या कठिनाई है?
आज अगर स्काइमेट अपना एग्री-रिमोट सेंसिग सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजना चाहे तो वह ऐसा नहीं कर सकती। हम मौसम की भविष्यवाणी तथा कृषि रिमोट सेंसिंग के लिए हिंद महासागर के ऊपर सैटेलाइट का नेटवर्क स्थापित करना चाहते हैं। लेकिन फिलहाल कोई कानूनी ढांचा नहीं है जिसमें यह सब किया जा सके। अंतरिक्ष विधेयक का मसौदा लंबित पड़ा है। इसरो ने विश्वविद्यालयों के साथ ऐसा काम किया है। लेकिन व्यापक स्तर पर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
- क्या इस तरह के आंकड़ों के लिए भारत में बाजार उपलब्ध है?
बिल्कुल। भारत में ऐसी सूचनाओं के लिए बड़ा बाजार है। बहुत से ऐसे ग्राहक हैं जो मौसम की जानकारी के लिए भुगतान करने को तैयार हैं।
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