Move to Jagran APP

शायरी के बेताज बादशाह मिर्जा गालिब को भारत रत्‍‌न देने की उठी मांग, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने किया समर्थन

भारत रत्न की मांग करते हुए सांसद ने कहा कि गालिब ने अपनी शायरी से पुरानी रवायत को तोड़ा और इनके जरिये जिंदगी के दर्शन को एक नई दृष्टि दी है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 09:53 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 01:04 AM (IST)
शायरी के बेताज बादशाह मिर्जा गालिब को भारत रत्‍‌न देने की उठी मांग, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने किया समर्थन
शायरी के बेताज बादशाह मिर्जा गालिब को भारत रत्‍‌न देने की उठी मांग, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने किया समर्थन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानी शायरी के बेताज बादशाह मिर्जा गालिब को उनकी कालजयी रचनाओं के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‌न से सम्मानित करने की मांग राज्यसभा में की गई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद मोहम्मद नदीम उल हक ने केंद्र सरकार से गालिब को मरणोपरांत भारत रत्‍‌न देने की यह मांग उठाई। तृणमूल सांसद की इस मांग का समाजवादी पार्टी व कांग्रेस समेत कुछ एक और दलों के सदस्यों ने समर्थन किया।

loksabha election banner

टीएमसी सांसद बोले, गालिब का सम्मान हम सभी की होगी प्रतिष्ठा

राज्यसभा में तृणमूल सांसद ने शून्यकाल के दौरान यह मांग उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार से आग्रह है कि वह गालिब को मरणोपरांत भारत रत्‍‌न से सम्मानित करे। सरकार का ऐसा कदम न केवल गालिब का सम्मान होगा बल्कि हम सभी की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नदीम उल हक ने कहा कि गालिब भले ही उत्तरप्रदेश के आगरा में पैदा हुए और महज 11 साल की उम्र में शायरी शुरू कर दी मगर उनकी लोकप्रियता सीमाओं से परे बेमिसाल थी। गालिब ने अपनी शायरी से पुरानी रवायत को तोड़ा और इनके जरिये जिंदगी के दर्शन को एक नई दृष्टि दी। भारत में इस विद्या में उनका योगदान अतुलनीय है।

गालिब को दुनिया छोड़े 150 साल बीत चुके

हक ने कहा कि गालिब की लोकप्रियता प्रादेशिक सीमाओं से परे थी और इसीलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके कोलकाता आने की 192वीं जयंती पर विशेष कार्यक्रम के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनका यह भी तर्क था कि भले गालिब को दुनिया छोड़े हुए 150 साल बीत चुके हैं मगर इस पूरे दौर से लेकर आज तक उनकी शायरी की प्रासंगिकता हमेशा मौजूद रही हैं। इसलिए यह कहने में कोई संदेह नहीं कि गालिब की कलम काल और सीमाओं की सरहद से परे थी। उनका सबसे बड़ा तोहफा ये है कि वे गौर करने और सवाल उठाने का संदेश देते हैं। गालिब को उनके इस योगदान के लिए जो मुकाम दिया जाना चाहिए हमने उन्हें नहीं दिया है।

वहीं, टीएमसी सांसद हक के इस नजरिये का सपा सांसद अभिनेत्री जया बच्चन ने भी हाथ उठाकर समर्थन किया। इसके बाद कांग्रेस के राजबब्बर, कुमारी सैलजा से लेकर कई दूसरे सदस्यों ने भी गालिब को भारत रत्‍‌न देने की मांग से अपनी सहमति जताई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.