भारत में मोदी सरकार आने से तिब्बत के भी आजाद होने की उम्मीद बढ़ी
भारत में एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद एकबार तिब्बत की आज़ादी की आवाज़ को पंख लग गए हैं।तिब्बत के लोगों को आज़ाद तिब्बत का सपना सच होता नज़र आ रहा है।
अहमदाबाद, जेएनएन। लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की शानदार जीत के बाद अब तिब्बत, भारत की ओर आस भरी निगाहों से देख रहा है। भारत में बसे करीब चार लाख तिब्बती शरणार्थियों को आजाद तिब्बत का सपना साकार होने की उम्मीद सी जग गई है। करीब 6 दशक से चल रहे तिब्बत की आजादी के आंदोलन को भारत में मजबूत सरकार बनने से काफी उम्मीद जगी है।
'तिब्बत की आज़ादी, भारत की सुरक्षा' कार्यक्रम से जुड़ी संस्थाएं इसको लेकर सक्रिय हो गई हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध संगठन भारत तिब्बत मैत्री संघ आईटीएमएस ने अहमदाबाद में एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में भारत और तिब्बत के संबंधों तथा उसकी आजादी में बाधक चीन जैसे विषयों पर चर्चा की।
सहयोग मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल और मैत्री संघ के गुजरात प्रभारी डॉक्टर अमित ज्योतिकर के मुताबिक करीब छह दशक से चल रहे तिब्बत की आजादी के आंदोलन को भारत में मजबूत सरकार बनने से काफी उम्मीद जगी है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया ने भी तिब्बत की आजादी का समर्थन किया है। उनका मानना है कि अमरीका, जर्मनी, कोरिया सहित कई यूरोपिय देश तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को अपनी संसद में बुला चुके हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं किया गया। मैत्री संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पी जी ज्योतिकर के मुताबिक तो उन्होंने यूपीए सरकार को भी कई पत्र भी लिखे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
बता दें, भारत और चीन के बीच बफर स्टेट के रूप में तिब्बत का सामरिक रूप से काफी महत्व है।तिब्बत की आज़ादी, भारत के लिए कई मायनों में ज़रूरी भी मानी जा रही है।ऐसा इसलिए क्योंकि भारत को अभी भारत-तिब्बत-चीन सीमा पर हजारों करोड़ का रक्षा बजट खर्च करना पडता है, तिब्बत आज़ाद हो जाए तो भारत काफी हद तक सुरक्षित हो जाएगा।
अब केंद्र में एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद उम्मीद है कि वो दलाई लामा को संसद में बुलाकर तिब्बत की आज़ादी की आवाज़ को बुलंद करेंगे, ताकि दुनिया के देश, चीन की हकीकत से वाकिफ हो सकें कि चीन जबरदस्ती तिब्बत पर कब्जा किए हुए है।
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