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ऐसे अकेले सीएम नहीं हैं येद्दयुरप्पा जिन्हें इतने कम समय में गंवानी पड़ी सरकार

देश में सिर्फ येद्दयुरप्पा ऐसे अकेले सीएम नहीं रहे हैं जिनकी सरकार कुछ दिन की रही हो, बल्कि उनसे पहले कई ऐसे सीएम हो चुके हैं। इनमें ओम प्रकाश चौटाला, जगदंबिका पाल, जानकी नटराजन जैसे नेताओं का नाम शामिल है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 11:51 AM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 06:00 PM (IST)
ऐसे अकेले सीएम नहीं हैं येद्दयुरप्पा जिन्हें  इतने कम समय में गंवानी पड़ी सरकार
ऐसे अकेले सीएम नहीं हैं येद्दयुरप्पा जिन्हें इतने कम समय में गंवानी पड़ी सरकार

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। देश में सिर्फ येद्दयुरप्पा ऐसे अकेले सीएम नहीं रहे हैं जिनकी सरकार कुछ दिन की रही हो, बल्कि उनसे पहले कई ऐसे सीएम हो चुके हैं। इनमें ओम प्रकाश चौटाला, जगदंबिका पाल, जानकी नटराजन जैसे नेताओं का नाम शामिल है। 17 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येद्दयुरप्पा ने करीब 55 घंटे पद पर बने रहने के बाद शनिवार को इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ उन्होंने अपने पिछले सात दिनों के कार्यकाल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। सियासत में ऐसे मौके आए हैं, जब पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटों या दिनों बाद त्यागपत्र देने की नौबत आई। आइये डालते हैं सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रियों पर एक नजर:- 

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सीएम बने येद्दयुरप्पा

17 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येद्दयुरप्पा ने करीब 55 घंटे पद पर बने रहने के बाद शनिवार को इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ उन्होंने अपने पिछले सात दिनों के कार्यकाल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। सियासत में ऐसे मौके आए हैं, जब पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटों या दिनों बाद त्यागपत्र देने की नौबत आई।

जगदंबिका पाल

24 घंटे में छोड़नी पड़ी थी कुर्सी उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह की तत्कालीन सरकार को बर्खास्त कर उन्हीं की कैबिनेट में मंत्री रहे जगदंबिका पाल को 21 फरवरी, 1998 को रातों-रात मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। उन्हें 24 फरवरी तक बहुमत साबित करने को कहा गया था। अगले ही दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश पर रोक लगा दी। पाल हटने को तैयार नहीं थे। सचिवालय में उस दिन कल्याण और पाल दोनों सीएम बनकर बैठे रहे। बाद में कोर्ट का लिखित आदेश मिलने के बाद पाल को कुर्सी छोड़नी पड़ी। 23 फरवरी को कल्याण ने बहुमत पा लिया और कोर्ट ने उनकी सरकार बहाल कर दी। पाल के कार्यकाल को कोर्ट ने विधिशून्य करार दिया। उनके कार्यकाल की गणना भी नहीं की जाती। इसके चलते उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री का दर्जा भी नहीं मिला।

सतीश प्रसाद सिंह

07 दिन कार्यकाल

27 जनवरी 1968 को सतीश देश के सबसे युवा और बिहार में पिछड़ी जाति के पहले मुख्यमंत्री बने। उनके साथ अल्पमत में आने जैसी कोेई बात नहीं थी। दरअसल, उस समय के एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत कांग्रेस के 155 सदस्यों वाले एक धड़े ने तत्कालीन मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा के खिलाफ बगावत कर दी। सिन्हा इस बगावत में मात खा गए और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के नेता बीपी मंडल को उनका उत्तराधिकारी चुना गया। चूंकि मंडल उस वक्त सांसद थे, इसलिए मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनका नाम विधानपरिषद के लिए प्रस्तावित किया गया। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सतीश प्रसाद सिंह को अंतरिम तौर पर मुख्यमंत्री बना दिया गया। बाद में विधानपरिषद सदस्यता की औपचारिकता पूरी करने के बाद मंडल ने सीएम की कुर्सी संभाली और सतीश ने पद छोड़ दिया।

ओम प्रकाश चौटाला

5 दिन और 14 दिन कार्यकाल

जुलाई 1990 में पांच दिनों के लिए और 1991 में 22 मार्च से 6 अप्रैल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे।

बीएस येद्दयुरप्पा

07 दिन कार्यकाल

नवंबर, 2007 में कर्नाटक में भाजपा और जद (एस) में सीट समझौते के तहत एचडी कुमारस्वामी को सीएम पद छोड़ना पड़ा। राज्य में दो दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। आखिरकार एचडी कुमारस्वामी समर्थन देने को तैयार हो गए और येद्दयुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि यह गठबंधन जटिल था। भाजपा ने अच्छे मंत्रालय देने की जद (एस) की मांग ठुकरा दी तो नाराज जद (एस) ने येद्दयुरप्पा को वोट देने से मना कर दिया। इसके बाद येद्दयुरप्पा ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का एलान कर दिया।

एससी मारक

13 दिन कार्यकाल

मेघालय में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एससी मारक 27 फरवरी, 1998 को मुख्यमंत्री बने। 12 दिन में ही कांग्रेस के नेतृत्व वाला उनका गठबंधन टूट गया। इसके चलते यूनाइटेड पार्लियामेंट्री फोरम के नेता बीबी लिंगदोह मुख्यमंत्री बने। इससे पहले मारक 1993 से 1998 तक मेघालय के मुख्यमंत्री रह चुके थे।

जानकी रामचंद्रन

22 दिन कार्यकाल

तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की पत्नी थीं। 24 दिसंबर 1987 को रामचंद्रन का निधन होने के बाद अन्नाद्रमुक ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। 7 जनवरी 1988 को उन्होंने पद संभाला। जानकी को 28 जनवरी को सदन में बहुमत साबित करना था, लेकिन विश्वास मत के दिन दोनों पक्षों के विधायकों में जमकर लात-घूंसे चले। यहां तक कि देश के इतिहास में पहली बार सदन में पुलिस को घुसकर लाठीचार्ज करना पड़ा। इस उपद्रव के बाद प्रदेश सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस तरह जानकी केवल 30 जनवरी तक सिर्फ 23 दिन की सीएम रह सकीं।

बीपी मंडल

31 दिन कार्यकाल

बिहार में सतीश प्रसाद सिंह के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले बीपी मंडल एक फरवरी, 1968 से 2 मार्च, 1968 तक पद पर बैठ पाए।

सीएच मो.कोया

45 दिन कार्यकाल

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता जो 12 अक्टूबर, 1979 से 1 दिसंबर, 1979 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे। 1961 में वे केरल विधानसभा के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद दो मुख्यमंत्रियों के मंत्रिमंडल में शामिल हुए। 12 अक्टूबर, 1979 को राज्य के 10वें मुख्यमंत्री बने। मगर 45 दिनों में ही उन्हें इस पद से हटना पड़ा।

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