संसद सत्र धुलने की आशंका, मध्यमार्ग के फार्मूले का विकल्प भी सरकार और विपक्ष को मंजूर नहीं
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सियासी हवाओं में मध्यमार्ग का रास्ता निकालने को लेकर ऐसी बातें सुनाई दे रही है मगर पार्टी दो टूक साफ करना चाहती है कि हम ऐसे किसी फार्मूले पर बिल्कुल सहमत नहीं हैं।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। सरकार और विपक्ष के अपने-अपने आक्रामक रुख पर कायम रहने के पुख्ता संकेतों के बाद बजट सत्र के दूसरे चरण के पूरी तरह धुलने की आशंका बढ़ गई है। सरकार व भाजपा राहुल गांधी से माफी की मांग छोड़ने के लिए राजी नहीं। वहीं विपक्ष ने साफ कर दिया है कि अदाणी मामले की संयुक्त संसदीय जांच समिति से जांच से वह कोई समझौता नहीं करेगा।
बजट सत्र के दूसरे चरण में
सत्तापक्ष और विपक्ष के इस रूख को देखते हुए सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की संसद का घमासान खत्म करने के प्रयासों के तहत गुरूवार को बुलाई गई बैठकों से रास्ता निकलने की कोई उम्मीद कम है। बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही एक दिन भी नहीं चल पायी है। इसके मद्देनजर ही बुधवार को सरकार और विपक्ष के बीच सुलह फार्मूले के तहत दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी मांगों को छोड़ने का एक विकल्प रखे जाने की सियासी गलियारों में चर्चा सुनाई दी।
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा
इस फार्मूले में विपक्ष से अदाणी पर जेपीसी की मांग छोड़ने के प्रस्ताव की बात है तो सरकार के भी राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान को लेकर माफी की मांग छोड़ने की बात है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सियासी हवाओं में मध्यमार्ग का रास्ता निकालने को लेकर ऐसी बातें सुनाई दे रही है मगर पार्टी दो टूक साफ करना चाहती है कि हम ऐसे किसी फार्मूले पर बिल्कुल सहमत नहीं हैं।
अदाणी मुद्दे पर जेपीसी और राहुल गांधी से माफी की मांग में कोई तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि राहुल पर झूठे-बेबुनियाद आरोप लगाकर माफी की मांग की जा रही। जबकि अदाणी मामले में सत्ता के संरक्षण के जरिए इस समूह को फायदा पहुंचाने से लेकर शेयर बाजार में हेर-फेर करने जैसे वास्तविक उदाहरण हैं।
जयराम ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से औपचारिक या अनौपचारिक रूप से न कोई ऐसा प्रस्ताव आया है और न ही कोई बात हुई है। स्पीकर से पहले मुलाकात और उसके बाद उन्हें पत्र लिखकर नियम 357 के तहत सदन में बोलने का समय दिए जाने का राहुल गांधी इंतजार कर रहे हैं।
सभापति धनखड़ की ओर से गुरूवार को बैठक बुलाई गई
वहीं भाजपा व सरकार में शीर्ष स्तर से राजनाथ सिंह व जेपी नड्डा साफ कर चुके हैं कि माफी से कम पर कुछ भी स्वीकार नहीं। संसद के घमासान का रास्ता निकालने को लेकर सभापति धनखड़ की ओर से गुरूवार को सुबह 10 बजे बुलाई गई बैठक बुलाई गई है। यह इसलिए अहम है क्योंकि सामान्यतया सत्र के बीच ऐसी बैठकें नहीं बुलाई जाती है। यह बैठक एक आखिरी कोशिश होगी कि सत्र चले। सरकार की ओर से बजट भी पास कराए जाने हैं। यह और बात है कि शोर शराबा जारी रहा तो भी बजट पर आंच नहीं आएगी हालांकि चर्चा संभव नहीं होगी।