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पहले दिन से संसद ठप करने का मन बना चुका था विपक्ष, केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष की कारगुजारियों का दिया सिलसिलेवार ब्योरा

शोर-शराबे और हुड़दंग की घटनाओं के बीच संसद का मानसून सत्र दो दिन पहले ही समाप्त हो चुका है और इसका ठीकरा विपक्ष और सत्तापक्ष एक-दूसरे के सिर फोड़ रहा है। सरकार का आरोप है कि विपक्ष पहले दिन से ही सत्र को ठप करने का मन बना चुका था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 11:49 PM (IST)
पहले दिन से संसद ठप करने का मन बना चुका था विपक्ष, केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष की कारगुजारियों का दिया सिलसिलेवार ब्योरा
संसद का मानसून सत्र दो दिन पहले ही समाप्त हो चुका है

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शोर-शराबे और हुड़दंग की घटनाओं के बीच संसद का मानसून सत्र दो दिन पहले ही समाप्त हो चुका है और इसका ठीकरा विपक्ष और सत्तापक्ष एक-दूसरे के सिर फोड़ रहा है। सरकार का आरोप है कि विपक्ष पहले दिन से ही सत्र को ठप करने का मन बना चुका था और अनौपचारिक रूप से यह बता भी चुका था। फिर भी बार-बार समझाने की कोशिश की गई, नेताओं से संपर्क साधे गए। लेकिन विपक्षी दलों ने विरोध के क्रम में शीशा तोड़ने, सदन की मेज पर चढ़कर वीडियो बनाने, धक्कामुक्की करने जैसे ऐसे कई आपत्तिजनक कृत्य किए, जिसके लिए उन्हें सख्त दंड मिलना चाहिए।

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विपक्ष ने संसदीय लोकतंत्र की मर्यादाओं को कुचलने का निम्नतम स्तर पार किया

राज्यसभा के सभापति से इसकी अपील भी की गई है। गुरुवार को जहां विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं सरकार के आठ मंत्रियों-पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी, प्रल्हाद जोशी, भूपेंद्र यादव, धर्मेद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, मुरलीधरन और अर्जुनराम मेघवाल ने आरोपों को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि यह साबित करने की कोशिश की कि विपक्ष ने संसदीय लोकतंत्र की मर्यादाओं को कुचलने का निम्नतम स्तर पार कर दिया है।

सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं थी तो फिर राज्यसभा में कोरोना पर कैसे चर्चा हुई

प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पहले ही दिन से विपक्ष का रवैया अवरोध का था। नए मंत्रियों को सदन के अंदर परिचय कराने से रोका गया। विपक्ष के नेताओं से बात करने की कोशिश हुई तो पता चला कि उन्होंने वाशआउट करने का फैसला कर लिया है। पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्षी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं थी तो फिर राज्यसभा में कोरोना पर कैसे चर्चा हुई? ओबीसी विधेयक पर दोनों सदनों में सत्तापक्ष और विपक्ष के चार दर्जन से ज्यादा सदस्यों ने हिस्सा लिया।

मंत्री के हाथ से कागज छीनकर उछाला गया

प्रल्हाद जोशी ने कहा कि लगता है कि राहुल गांधी कुछ लिंक मिस कर जाते हैं, शायद इसीलिए वह ऐसी बात कर रहे हैं। पेगासस पर सरकार के मंत्री खुद वक्तव्य देने आए थे। लेकिन विपक्ष को तो सुनना ही नहीं था। उन्हें केवल अवरोध पैदा करना था और इसीलिए उनके हाथ के कागज छीनकर उछालने का असंसदीय काम किया।

चर्चा से भागने के लिए सारा उपक्रम कर रहा था विपक्ष

अनुराग ठाकुर और भूपेंद्र यादव ने कहा कि दो दिन पहले जिस तरह विपक्षी दलों ने टेबल पर चढ़कर वीडियो बनाया उसकी कोई माफी नहीं हो सकती है। विरोध करने का तरीका होता है लेकिन उन्हें उपद्रव करना था। चर्चा से भागने के लिए ही विपक्ष ने सारे उपक्रम किए थे। विपक्ष के सांसदों ने दरवाजे के शीशे को तोड़ दिया, जिससे एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गई। विपक्षी सांसदों ने संसद को सड़क में बदल दिया।

ऐसी सजा मिले कि भविष्य के लिए डर बना रहा रहे

मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष चोरी और सीनाजोरी जैसा आचरण कर रहा है। उसे अब डर सता रहा है कि इस आचरण का दंड भुगतना होगा। उन्हें इस तरह दंडित किया जाना चाहिए कि भविष्य में हर सदस्य भयभीत रहे।

विपक्ष ने सहयोग नहीं किया तो पारित कराने पड़े विधेयक

संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि संसद जनता का काम करने और विधेयक पारित करने के लिए है। लिहाजा जब विपक्ष ने अवरोध पैदा करने का फैसला सुना दिया तो सरकार को कुछ विधेयक पारित कराने पड़े। आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण टैक्सेशन ला, साधारण बीमा कारोबार, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप जैसे विधेयक पारित हुए तो शैक्षिक सुधार के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयकों को मंजूरी दी गई। इसी तरह सामाजिक न्याय और सुधार के लिए ओबीसी विधेयक, किशोर न्याय संशोधन विधेयक, अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन जैसे विधेयक पारित कराए गए।

कांग्रेस ने भी शोर-शराबे में पारित कराया था विधेयक

प्रल्हाद जोशी ने बताया कि कांग्रेस के काल में 17 ऐसे विधेयक थे जो एक मिनट से चार मिनट के अंदर पारित कराए गए थे। आंध्र प्रदेश के बंटवारे से जुड़ा विधेयक समेत आधा दर्जन से अधिक विधेयक शोर शराबे में पारित कराया गया था।


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