सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के दावे और पूर्व राज्यमंत्री के सवाल, पढ़ें रोचक इंटरव्यू
सरकार के दावों और उस पर विपक्ष की सहमति असहमति को लेकर इन दोनों लोगों से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता संजय सिंह ने विस्तृत बातचीत की।
नई दिल्ली [जेएनएन]। यह कोई नहीं कह सकता है कि सड़क परिवहन में पिछले चार साल में काम नहीं हुआ। लेकिन मनमोहन सिंह सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री रहे आरपीएन सिंह इसका श्रेय अपनी सरकार को देते हैं। वर्तमान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस सबसे बेपरवाह अपनी स्पष्ट सोच और संकल्प से देश में सड़कों का जाल बिछाने में जुटे हुए हैं। सरकार के दावों और उस पर विपक्ष की सहमति असहमति को लेकर इन दोनों नेताओं से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता संजय सिंह ने विस्तृत बातचीत की। पहले पेश है नितिन गडकरी से बातचीत के अहम अंश:
- रोजाना 27 किमी सड़कें बनाकर आपने नई मिसाल कायम की है। लेकिन कुछ लोग इसे नई आकलन पद्धति का कमाल मानते हैं?
हम पुरानी पद्धति के हिसाब से ही 27 किमी प्रतिदिन सड़क निर्माण की बात कर रहे हैं। नई पद्धति से तो यह आंकड़ा बहुत अधिक होगा। इसमें कुछ छिपाया नहीं गया है। कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वहां जाकर देखा जा सकता है। 27 किमी में पूरी सड़क का हिसाब है। जबकि नई मेथाडोलाजी में सड़क की गणना लेन के हिसाब से की जाएगी।
- आपने सड़क निर्माण को एक्सप्रेसवे और सुपर एक्सप्रेसवे की ओर मोड़ दिया है। इसमें ज्यादा भूमि अधिग्रहण नहीं होगा?
एक्सप्रेसवे देश की जरूरत है। एक्सप्रेसवे से समय, ईंधन और प्रदूषण में कमी आएगी। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनने का लाभ मिलने लगा है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पूरा होने पर यातायात का दबाव कम होगा, ईंधन और समय बचेगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को हम पिछड़े क्षेत्रों से लेकर जाएंगे। इससे उन इलाकों का विकास हो सकेगा जो बेहतर सम्पर्क नहीं होने के कारण विकास में पीछे हैं। इस एक्सप्रेसवे में हम जमीन अधिग्रहण में 7 हजार करोड़ रुपये बचा रहे हैं।
- चार साल बाद भी 80 परियोजनाएं अटकी हुई थीं। क्या कारण है?
मेरी जानकारी में अब कोई भी परियोजना अटकी नहीं है, सभी में काम चल रहा है। लेकिन आपकी नजर में कोई ऐसी परियोजना हो तो अवश्य बताएं। पहले सबसे ज्यादा परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण लटक गई थीं। अब ऐसी स्थिति नहीं आए, इसके लिए हमने 80 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण के बाद वर्क आर्डर देने का नियम बना दिया है।
- चारधाम और राम जानकी मार्ग का काम सुस्त है?
कुछ समस्याएं थीं, जो धीरे-धीरे हल हो गई हैं। 700 किमी से ज्यादा का काम शुरू हो चुका है। इस मार्ग के निर्माण में थोड़ा मौसम की दिक्कत आ रही है। जिसकी वजह से उतनी तेजी से काम नहीं हो पा रहा, जितना होना चाहिए। लेकिन मुझे उमीद है कि 2019 तक चारधाम परियोजना के 910 किमी मार्ग निर्माण का काम हम पूरा कर लेंगे।
- लॉजिस्टिक पार्कों का काम पिछड़ गया लगता है ?
‘भारतमाला’ में 8 लॉजिस्टिक पार्कों का काम तेजी से हो रहा है। जमीन अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है। एक्सप्रेसवे और हाईवे के किनारे लॉजिस्टिक पार्क बनने से सामान ढुलाई में आने वाली लागत कम हो जाएगी। रोड, रेल और पोर्ट संपर्क मार्ग बनने से एक राज्य से दूसरे राज्य और देश से विदेश सामान भेजना आसान हो जाएगा।
- व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी लागू होने में क्यों अड़चनें दिखाई दे रही हैं?
सभी से विचार-विमर्श करके स्कै्रपेज पॉलिसी का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसे जल्द कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। नीति बनने के बाद आप देखिएगा कितना सुधार आएगा।
- मोटर बिल में ड्राइवरों की शैक्षिक योग्यता को घटाकर आठवीं पास करने और मुआवजे की राशि को सीमित करने की आलोचना हो रही है ?
चालकों की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास करना गलत नहीं है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। देश में 22 लाख कुशल चालकों की कमी है। इसे दूर करने के लिए हमने जिलास्तर पर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने की योजना बनाई है। वहां नए और पुराने चालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे कुशल चालकों की कमी पूरी होगी। रोजगार को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक योग्यता की बाध्यता को सीमित करने का निर्णय लिया गया है। जहां तक बीमा राशि की हैं, तो मोटर व्हीकल एक्ट में हमने दुर्घटना बीमा की राशि बढ़ा दी है। इससे पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि पाने में दिक्कत नहीं होगी तथा बीमा कंपनियों के पीछे भागना नहीं पड़ेगा।
- आप ट्रकों की लोड ढोने की क्षमता बढ़ाने जा रहे हैं? इससे ओवरलोडिंग और नहीं बढ़ जाएगी?
लोडिंग क्षमता बढ़ाने का निर्णय अंतरराष्ट्रीय चलन को देखकर किया गया है। इससे जबरन वसूली पर रोक लगेगी। विदेशों में हमारे यहां के मुकाबले काफी अधिक लोडिंग क्षमता निर्धारित है। इसलिए हमने इसमें बीस से पच्चीस फीसद बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। इससे ज्यादा माल लादना संभव ही नहीं होगा।
- पहले आप कंक्रीट की सड़कों पर जोर देते थे। अब डामर रोड बनाने की बात कर रहे हैं?
सीमेंट कंपनियां मिलकर सीमेंट का उत्पादन घटाती हैं और फिर दाम बढ़ा देती हैं। पहले हमने एकमुश्त खरीद के आर्डर देकर सीमेंट के दाम कम कराए थे। लेकिन अब कंपनियां फिर मनमानी करने लगी हैं। इसलिए हमने बिटुमिन रोड बनाने का फैसला किया है।
- सड़क दुर्घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं ?
मैं मानता हूं कि इसमें मुझे कामयाबी नहीं मिली। मोटर बिल पास न होना इसकी एक वजह है। इसमें सबका सहयोग चाहिए।
यह कोई नहीं कह सकता है कि सड़क परिवहन में पिछले चार साल में काम नहीं हुआ। लेकिन मनमोहन सिंह सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री रहे आरपीएन सिंह इसका श्रेय अपनी सरकार को देते हैं। पढ़ें उनसे हुई बातचीत के अहम अंश...
- सड़क व परिवहन क्षेत्र में मोदी सरकार के कामकाज को आप किस तरह आंकते हैं?
नया कुछ भी नहीं है। ज्यादातर उन्हीं को आगे बढ़ाया जा रहा जिनकी शुरुआत संप्रग सरकार ने की थी। लेकिन ये सरकार सड़क निर्माण के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।
- आप यह बात किस आधार पर कह रहे हैं?
इन्होंने अधिक निर्माण दिखाने के लिए सड़क निर्माण मापने का पैमाना ही बदल दिया है। जिसमें आने- जाने की लंबाई को लेन के हिसाब से अलग-अलग जोड़ा जा रहा। इस तरह जोड़ेंगे तो हमारा काम बहुत अधिक निकलेगा।
- मगर, सरकार का दावा है कि उसने संप्रग सरकार के वक्त अटकी 400 से ज्यादा सड़क परियोजनाओं पर काम शुरू कराया?
यदि यह दावा सही होता तो दिल्ली से सटी राजमार्ग परियोजनाएं पूरी हो गई होतीं। लेकिन दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा और दिल्ली- लुधियाना हाईवे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। जबकि दिल्ली-जयपुर हाईवे को आननफानन पूरा करने का दावा स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में जयपुर की रैली में किया था। यही नहीं, अब मोदी जी ने आजमगढ़ में उसी पूर्वांचल हाईवे का फिर से शिलान्यास कर दिया है, जिसका शिलान्यास हम पहले ही कर चुके हैं।
- लेकिन ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के रूप में देश के सर्वाधिक आधुनिक एक्सप्रेसवे के निर्माण का श्रेय तो आप इस सरकार को देंगे?
ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेसवे की शुरुआत भी संप्रग के समय हुई थी। लेकिन भूमि अधिग्रहण के विवादों के कारण मामला सुप्रीमकोर्ट जाने से काम नहीं बढ़ पाया। इस सरकार ने सुप्रीमकोर्ट की सख्ती के बाद इसे पूरा किया है। लेकिन आधा-अधूरा काम होने से इस पर अभी से दुर्घटनाएं होने लगी हैं। उद्घाटन के कुछ दिनों बाद ही एक भयंकर हादसा हुआ था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। बड़ी बातों और जुमलों से काम नहीं होता। वाहवाही के लिए किसी प्रोजेक्ट को हड़बड़ी में चालू कर देना सड़क सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
- दुर्घटनाओं की बात छिड़ी है तो मोटर बिल का मुद्दा उठना लाजिमी है? लेकिन सरकार के प्रयासों के बावजूद यह बिल संसद में अटका है। आखिर विपक्ष को क्या आपत्ति है?
देखिए, ये सरकार दो कदम आगे चलती है तो चार कदम पीछे। मोटर बिल के मामले में तो ये बात और भी ज्यादा सटीक है। आखिर ड्राइवरों की शैक्षिक योग्यता को दसवीं पास से घटाकर आठवीं पास करने का क्या तुक है। एक तरफ आप अत्याधुनिक एक्सप्रेसवे, इलेक्ट्रानिक टोलिंग और आनलाइन लाइसेंस की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ ऐसे इंतजाम कर रहे हैं ताकि ज्यादा पढ़े-लिखे लोग ड्राइविंग के पेशे में न आएं। ये सड़क सुरक्षा के प्रति दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?