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जम्मू-कश्मीर: एक राज्य-दो जनादेश, BJP की जबरदस्‍त दस्‍तक ने गढ़े थे नए सियासी समीकरण

पहली दफा जम्‍मू कश्‍मीर में ऐसे राजनीतिक हालात पैदा हुए जिसमें यह कहा जा सकता है कि राज्‍य में दो जनादेश मिले हो। राज्‍य में भाजपा का सियासी दबदबा कायम हुआ था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 03:54 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 04:17 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: एक राज्य-दो जनादेश, BJP की जबरदस्‍त दस्‍तक ने गढ़े थे नए सियासी समीकरण
जम्मू-कश्मीर: एक राज्य-दो जनादेश, BJP की जबरदस्‍त दस्‍तक ने गढ़े थे नए सियासी समीकरण

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ]। जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जम्‍मू क्षेत्र में उस तरह का समर्थन और जनादेश नहीं मिला था जैसा कि 2014 के चुनाव में हासिल हुआ। साल 1996 में हुए चुनाव में जम्मू में भाजपा को महज आठ सीटें मिली थीं। जबकि 2002 के चुनाव में यह घटकर एक रह गई थी। फिर 2008 में अमरनाथ स्थापना बोर्ड के लिए ज़मीन आवंटन को लेकर हुए आंदोलन के बाद चुनाव में भाजपा ने 11 सीटें जीती थीं। वहीं, 2014 के चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 25 सीटें हासिल की। पहली दफा जम्‍मू कश्‍मीर में ऐसे राजनीतिक हालात पैदा हुए जिसमें यह कहा जा सकता है कि राज्‍य में दो जनादेश मिले हो। राज्‍य में भाजपा का सियासी दबदबा कायम हुआ था।
जी हां, जम्मू और कश्मीर में 12वीं विधानसभा के परिणामों पर पर नज़र डालें तो ऐसा प्रतीत होता था जैसे दो अलग-अलग राज्यों के नतीजे हों। राज्य के 87 विधानसभा सीटों में जम्मू क्षेत्र की 37 में से भाजपा 25 सीटों पर कब्जा किया था जबकि दूसरे दलों को सिर्फ 12 सीटें मिली। कश्मीर घाटी की 46 में 30 सीटें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को मिली और 16 अन्य दलों में बंट गई थी। लद्दाख की चार सीटों में तीन कांग्रेस को और एक निर्दलीय की झोली में गई थी।

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2014 विधानसभा चुनाव के परिणाम
वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में खंडित जनादेश आया था। लेकिन, पीडीपी 28 सीटें जीतकर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप उभरी थी। भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी।
यहां गौर करने वाली बात यह थी कि पीडीपी का प्रभुत्‍व कश्‍मीर घाटी तक ही सीमित था। उसने अधिकतर सीटें घाटी से ही जीती थी। दूसरी तरफ मैदानी इलाकों में भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्‍व था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने अपनी सारी सीटें जम्मू इलाक़े में थी। उसे कश्मीर घाटी में कोई सीट नहीं मिली। नेशनल कांफ्रेंस 15 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर थी। उसे भी अधिकांश सीटें कश्मीर घाटी में ही मिली हैं। कांग्रेस 12 सीटें जीतकर चौथे स्थान पर रही।

जम्मू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोगों की संतुष्टि ने भाजपा को इस इलाक़े में फायदा पहुंचाया। भाजपा को यहां सभी वर्गों का वोट हासिल हुए। हालांकि, भाजपा घाटी में लोगों को विश्‍वास दिला पाने में असफल रही। यही वजह है कि उसे घाटी से सफलता नहीं मिली। 2014 के चुनाव में भाजपा की झोली में 25 सीटें आईं, जिनमें जम्मू के केवल हिंदू क्षेत्रों में तो सीटें मिली ही, मुस्लिम बहुल क्षेत्र जैसे किश्तवाड़, डोडा, बनी, भदरवाह जैसी सीटें भी भाजपा के खाते में गई।


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