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यूं ही नहीं सुषमा को सलाम करता है हिंदुस्तान, उठाए हैं ऐसे-ऐसे साहसिक कदम

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj) ने अपने कार्यकाल के दौरान कुछ ऐसे साहसिक फैसले लिए जिनकी वजह से वो आज भी सभी हिंदुस्तानियों के दिल में जिंदा हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 01:39 PM (IST)
यूं ही नहीं सुषमा को सलाम करता है हिंदुस्तान, उठाए हैं ऐसे-ऐसे साहसिक कदम
यूं ही नहीं सुषमा को सलाम करता है हिंदुस्तान, उठाए हैं ऐसे-ऐसे साहसिक कदम

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज(Sushma Swaraj) का 67 साल की उम्र में मंगलवार देर रात करीब 11 बजे दिल्ली के एम्स(AIIMS) में निधन हो गया। देश की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मिनिस्टर रहीं सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का सियासी सफर काफी शानदार रहा। भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर अपना करियर शुरू करने वालीं सुषमा स्वराज से भारत की विदेश मंत्री बनने तक का सफर शानदार तरीके से पूरा किया। मोदी सरकार के अपने कार्यकाल के दौरान सुषमा स्वराज के कुछ साहसिक कदमों ने उन्हें लोगों के दिल में जगह दिला दी। आइए जानते हैं सुषमा स्वराज के ऐेसे ही कुछ कदमों के बारे में..

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मसूद अजहर हुआ अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित
भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कार्यकाल के दौरान भारत की संसद पर आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और हाल ही पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मौलाना मसूद अजहर(Masood Azhar) को अंतराराष्ट्रीय आतंकी(Global Terrorist) घोषित किया गया। सुषमा स्वराज के प्रयासों का नतीजा था कि मसूद पर चीन के बार-बार अड़ंगा फंसाने के बावजूद 1 मई 2019 को आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UNSC) ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया था। पुलवामा हमले के बाद आतंकी मसूद के खिलाफ एक्शन के लिए भारत ने अंतराराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया था। UNSC में आतंकी मसूद को बचाने के लिए चीन के तकनीकी रोक लगा रखी थी लेकिन सुषमा स्वराज की कूटनीति का ही नतीजा था कि चीन की चालबाजी भी इसमें काम नहीं आई।

सुषमा के लिए PAK को खोलना पड़ा था एयरस्‍पेस
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कुछ प्रभावशाली नेताओं में से एक थीं। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था। भारत में दूसरी बार मोदी सरकार बनीं तो पड़ोसी देश पाकिस्तान को सुषमा स्वराज के लिए अपना एयरस्पेस तक खोलना पड़ा। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पहली बार भारत के विमान के लिए पाकिस्तान ने एयरस्पेस खोला था। पाकिस्‍तान ने सुषमा स्‍वराज की फ्लाइट को किर्गिस्‍तान जाने का रास्‍ता दिया। वह किर्गिस्तान के बिश्केक में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन(SCO) की बैठक में शामिल होने गई थीं।

'ऑपरेशन राहत' में यमन से निकाले 4000 भारतीय
साल 2015 में यमन में जब हूती विद्रोहियों और सरकार के बीच दंग छिड़ गई और वहां हजारों भारतीय फंस गए थे, उस दौरान विदेश मंत्री के पद पर सुषमा स्वराज ही थीं। यमन में फंसे भारतीयों ने मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई। सुषमा स्वराद ने 'ऑपरेशन राहत' चलाकर यमन में फंसे भारतीयों को वहां से बाहर निकाला था। 'ऑपरेशन राहत' के दौरान यमन से 4000 से ज्यादा भारतीयों व विदेशियों को निकालने के लिए सेना के साथ मिलकर खतरनाक रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया। यमन के अदन बंदरगाह से 1 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन 11 दिनों तक चला था। इस पूरे ऑपरेशन पर सुषमा स्वराज की खास नजर रही।

सूडान-लीबिया से भारतीयों को बाहर निकाला
देश से बाहर रह रहे भारतीयों की मदद के लिए सुषमा स्वराज हमेशा आगे रहती थीं। सुषमा स्वराज ने दक्षिण सूडान में गृह युद्ध में फंसे भारतीयों की सुरक्षित देश वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।सुषमा स्वराज ने सूडान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए 'ऑपरेशन संकटमोचन' चलाया। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान दक्षिण सूडान में फंसे 150 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इसके अलावा लीबिया में भी जारी गृहयुद्ध के दौरान 29 भारतीयों की सुरक्षित वापसी में भी सुषमा स्वराज ने अहम भूमिका निभाई।

इराक से 46 भारतीय नर्सों की वतन वापसी
इराक में जब आतंकी संगठन आईएसआईएस(ISIS) ने 46 भारतीय नर्सों को बंधक बना लिया था तो उस वक्त की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इन भारतीय नर्सों को वहां से बाहर निकालने में अंतरराष्ट्रीय स्तर कर काफी कवायद की थी। इस पूरे मामले पर सुषमा स्वराज ने खुद नजर रखी और वो तबतक शांति से नहीं बैठीं जबतक सारी नर्सें भारत सकुशल नहीं लौट आईं। 5 जुलाई 2014 की सूब इराक से 46 भारतीय नर्सों को लेकर जब एयर इंडिया का विशेष विमान मुंबई लेकर पहुंचा तो सुषमा स्वराज की सांस में सांस आई। यह भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अथक प्रयासों का एक सफल नतीजा था।

गीता को भारत लेकर आईं थीं सुषमा
एक मूक-बधिर भारतीय लड़की गीता, जो महज 11 साल की उम्र में भटकते हुए सरहर पार पाकिस्तान पहुंच गई थी, उस बेचारी की मदद कर उसे भारत लाने में सुषमा स्वराज का अहम योगदान रहा। गीता भारत आते ही सबसे पहले उनसे मिली और उनका धन्यवाद किया। कराची स्थित एधि फाउंडेशन में भारत के उच्चायु्त में सुषमा स्वराज की गीता से मुलाकात कराई थी। गीता की मदद का प्रयास कर रहे पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी, गीता की तस्वीरें अक्टूबर 2012 में भारत लेकर आए थे। लेकिन तब सरकार की ओर से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली थी। लेकिन जब सुषमा स्वराज विदेश मंत्री बनीं तो गीता भारत लौट पाईं।

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