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तेलंगाना में दूसरी बार मुख्‍यमंत्री बने चंद्रशेखर राव, जानें कांग्रेसी कार्यकर्ता से सीएम तक का सफर

तेलंगाना में टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने कभी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के कार्यकता से की थी। इसके बाद अलग राज्‍य के आंदोलन ने उनकी पहचान बनाई।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 01:44 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 05:42 PM (IST)
तेलंगाना में दूसरी बार मुख्‍यमंत्री बने चंद्रशेखर राव, जानें कांग्रेसी कार्यकर्ता से सीएम तक का सफर
तेलंगाना में दूसरी बार मुख्‍यमंत्री बने चंद्रशेखर राव, जानें कांग्रेसी कार्यकर्ता से सीएम तक का सफर

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। तेलंगाना में टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने दूसरी बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली है। उन्‍होंने धमाकेदार जीत दर्ज कर राज्‍य में अपनी मजबूती को और अधिक धार दे दी है। इसका फायदा उनको मुमकिन है कि आने वाले समय में लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिले। टीआरएस ने यहां पर 88 सीटें जीती हैं। इसके अलावा कांग्रेस को केवल 19 तो वहीं भाजपा को महज 1 सीट ही नसीब हो पाई है। इसके अलावा AIMIM के खाते में 7 सीट आई हैं। अपनी गुलाबी आंधी में दूसरी सभी पार्टियों को उखाड़ फेंकने के पीछे जिस इंसान की रणनीति काम की है उसका नाम के. चंद्रशेखर राव है।

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तेलंगाना के गठन के बाद यहां पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था। जहां तक चंद्रशेखर राव की बात है तो उनका अपना राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। आपको जानकर हैरत होगी कि राज्‍य में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले राव कभी कांग्रेस में सबसे निचले दर्जे साधारण कार्यकर्ता हुआ करते थे। यहीं से ही उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत भी हुई थी। छात्र नेता के रूप में राजनीति का ककहरा सीखने वाले राव इससे पहले लोगों को खाड़ी में काम करने के लिए भेजने का काम करते थे। 

उन्‍होंने वर्तमान में मेढक जिले के गजवेल विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की है। तेलंगाना को अलग राज्‍य बनाने के लिए शुरू किए गए आंदोलन ने उनकी राजनीति को एक नई धार देने का काम किया। इसी आंदोलन ने उन्‍हें एक नई पहचान भी दी। 2 जून 2014 को उन्‍होंने पहली बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। राव इससे पहले सिद्धिपेट से विधायक तथा महबूबनगर और करीमनगर से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा उन्‍होंने केंद्र में श्रम और नियोजन मंत्री की भूमिका निभाई है।

उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो तेलंगाना राष्ट्र समिति के गठन से पहले वे तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य थे। इस पार्टी से वह विधायक के अलावा राज्‍य में मंत्री भी रहे। उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण की मांग करते हुए तेलगू देशम पार्टी छोड़ी थी। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और पांच सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। इसके बाद वह केंद्र में मंत्री भी बनाए गए। लेकिन संप्रग सरकार में रहते हुए उन्‍होंने तेलंगाना के लिए न सिर्फ अपनी आवाज को तेज किया, बल्कि इस मुद्दे पर अपने पद से इस्‍तीफा भी दे दिया।

केसीआर का मुख्य उद्देश्य अलग तेलंगाना की स्थापना रहा था। केसीआर के मुख्य सहयोगियों में उनके पुत्र तारक रामाराव (टीएसआर महासचिव) और भतीजा टी हरीश राव (विधायक) हैं। उनतीस नवंबर को उन्होंने अलग तेलंगाना के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की घोषणा की। उनकी इस घोषणा के बाद पुलिस ने उन्हें करीमनगर में गिरफ्तार कर लिया। उनके समर्थक विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 2 जून 2014 को पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने।


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