हिंदी विरोधी सुरों के बीच वित्त व विदेश मंत्री का ट्वीट, कहा- बिना समीक्षा लागू नहीं होगी NEP
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्विटर पर एक तरह का मैसेज पोस्ट किया जिसमें यह आश्वासन दिया कि NEP मसौदे की समीक्षा के बाद ही प्रक्रिया लागू की जाएगी
नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मसौदे को लेकर विवाद जारी है। मसौदे के अनुसार, सभी स्कूलों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव है जिसपर दक्षिणी राज्यों की ओर से कड़ा विरोध जताया जा रहा है। हालांकि, वित्त मंत्री व विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि मसौदे को बिना समीक्षा के लागू नहीं किया जाएगा।
शुक्रवार को कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली पैनल ने NEP के इस मसौदे को पेश किया। इसमें कहा गया है कि 1968 से तीन भाषा का फॉर्मूला स्कूलों में चलाया जा रहा है इसे जारी रखना होगा। शशि थरूर ने कहा था, 'दक्षिण में कई जगह हिंदी दूसरी भाषा के तौर पर प्रयोग की जाती है, लेकिन उत्तर में कोई मलयालम या तमिल नहीं सीख रहा है।' इस मामले में भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने कहा था, 'इस पॉलिसी को दक्षिण के छात्रों को हिंदी सीखने का प्रोत्साहन मिलेगा। अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं होता तो भी स्कूलों में हिंदी सीखने को बढ़ावा मिलना चाहिए।'
क्या कहता है NEP
NEP में कहा गया है कि बच्चों को कम से कम पांचवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए। पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए जिसमें वो इन्हें बोलना सीखें और इनकी स्क्रिप्ट पहचाने और पढ़ें। नई शिक्षा नीति का ये ड्राफ्ट इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने तैयार किया है।
तमिलनाडु मूल के नेताओं का आश्वासन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर आश्वासन दिया है कि इसे करने से पहले सरकार इसकी समीक्षा करेगी और फीडबैक लेगी। दोनों ही नेता तमिलनाडु मूल के हैं। बता दें कि गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली NEP के मसौदे पर विवाद जारी है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी अपना बचाव करते हुए कहा कि किसी भी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी।
The National Education Policy as submitted to the Minister HRD is only a draft report. Feedback shall be obtained from general public. State Governments will be consulted. Only after this the draft report will be finalised. GoI respects all languages. No language will be imposed
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 2, 2019
மக்கள் கருத்துக்களை கேட்டறிந்த பின்பே கல்வி குழுவின் வரைவு அறிக்கை அமல்படுத்தப்படும். பிரதமர் அனைத்து இந்திய மொழிகளையும் வளர்க்க விரும்பியே “ஒரே பாரதம் உன்னத பாரதம்” “#EkBharatSreshthaBharat முயற்சியை துவக்கினார். தொன்மையான தமிழை போற்றி வளர்பதற்கு மத்ய அரசு முன்னின்று ஆதரிக்கும்.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) June 2, 2019
तमिलनाडु को है कड़ी आपत्ति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में अपने ट्विटर पर संदेश प्रसारित किए और यह भरोसा दिलाया कि इस ड्राफ्ट को लागू करने से पहले इसकी समीक्षा होगी। इस मामले पर सबसे अधिक आपत्ति तमिलनाडु ने जताई है। इसे लेकर मोदी सरकार के मंत्रियों की ओर से ट्वीट तमिल में किए गए हैं। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी लोगों से अपील की थी कि वह नई शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण और बहस करें, लेकिन जल्दबाजी में निर्णय न लें।
तमिलनाडु में 1937 से 40 तक हिंदी विरोधी प्रदर्शनों का दौर रहा जो दोबारा 1965 में भी देखा गया।
'एक भारत श्रेष्ठ भारत'
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और डीएमके नेता एमके स्टालिन के बयानों के बाद अब कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता शशि थरूर हिंदी को दक्षिण भारत पर थोपने के खिलाफ चेतावनी जारी कर रहे हैं। जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, 'जनता की राय सुनने के बाद ही ड्राफ्ट पॉलिसी लागू होगी। सभी भारतीय भाषाओं को पोषित करने के लिए ही प्रधानमंत्री ने एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना लागू की थी। केंद्र तमिल भाषा के सम्मान और विकास के लिए समर्थन देगा।
शुक्रवार को कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली पैनल ने NEP के इस मसौदे को पेश किया। इसमें कहा गया है कि 1968 से तीन भाषा का फॉर्मूला स्कूलों में चलाया जा रहा है इसे जारी रखना होगा। शशि थरूर ने कहा था, 'दक्षिण में कई जगह हिंदी दूसरी भाषा के तौर पर प्रयोग की जाती है, लेकिन उत्तर में कोई मलयालम या तमिल नहीं सीख रहा है।' इस मामले में भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने कहा था, 'इस पॉलिसी को दक्षिण के छात्रों को हिंदी सीखने का प्रोत्साहन मिलेगा। अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं होता तो भी स्कूलों में हिंदी सीखने को बढ़ावा मिलना चाहिए।'
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