पीएम मोदी के सामने सीएम स्टालिन के बर्ताव से शर्मिदा हैं तमिलनाडु भाजपा प्रमुख, कहा- दिखानी चाहिए थी थोड़ी गरिमा
तमिलनाडु के भाजपा प्रमुख ने अपने ट्वीट में सीएम को भी टैग करते हुए कहा कि मंच पर सीएम स्टालिन ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि 14006 करोड़ रुपये का जीएसटी के बकाए को छोड़ दें। जीएसटी के मुआवजे को और दो साल के लिए बढ़ा दें।
चेन्नई, एएनआइ। भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेन्नई आने पर कुछ मुद्दे उठाने को लेकर निंदा की है। तमिलनाडु भाजपा के प्रमुख के.अन्नामलाई ने कहा कि वह मुख्यमंत्री स्टालिन के बर्ताव से शर्मिदा हैं।
अन्नामलाई ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा कि वह पीएम नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मंच पर मुख्यमंत्री के स्तब्ध करने वाले व्यवहार से शर्मिदा हैं। नरेन्द्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री आए थे, वह भाजपा के कार्यक्रम में नहीं आए थे। हमारे मुख्यमंत्री को उस समय अपने बर्ताव में थोड़ी गरिमा दिखानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने गिरी हुई हरकत की।
तमिलनाडु के भाजपा प्रमुख ने अपने ट्वीट में सीएम को भी टैग करते हुए कहा कि मंच पर सीएम स्टालिन ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि 14,006 करोड़ रुपये का जीएसटी के बकाए को छोड़ दें। जीएसटी के मुआवजे को और दो साल के लिए बढ़ा दें। साथ ही नेशनल एलिजिबिल्टी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के लिए राज्य के छात्रों को मुक्त कर दें।
As an ordinary citizen of India and a proud Tamil, I am absolutely ashamed by the appalling conduct of TN CM @mkstalin.
Hon PM @narendramodi had come as the PM, not for a BJP programme. Our CM was expected to show grace but he ended up disgracing himself.
1/n— K.Annamalai (@annamalai_k) May 26, 2022
जीएसटी काउंसिल का अपमानित करना गलत: तमिलनाडु भाजपा प्रमुख
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने एक अन्य ट्वीट में स्टालिन के लिए कहा कि सीएम उन मुद्दों को उठा रहे हैं जिनका कोई विवाद ही नहीं है। स्टालिन ऐसे तो संघवाद का विरोध करते रहते हैं, लेकिन जीएसटी काउंसिल को अपमानित करना गलत है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हमेशा तमिल भाषा, साहित्य व संस्कृति की सराहना करते हैं, लेकिन सीएम स्टालिन केवल ओछी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कच्चातीवू द्वीप को वर्ष 1974 में कांग्रेस सरकार ने श्रीलंका को सौंप दिया था। द्रमुक के सत्ता में रहते हुए कच्चातीवू द्वीप श्रीलंका को भेंट किया गया था।