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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्‍त कुरैशी बोले, दलबदल करने वाले विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई कुरैशी ने कहा है कि दलबदल करने वाले विधायकों और सांसदों के छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान भी जोड़ा जाना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 08:34 PM (IST)
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्‍त कुरैशी बोले, दलबदल करने वाले विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्‍त कुरैशी बोले, दलबदल करने वाले विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक

नई दिल्ली, आइएएनएस। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे की घोषणा से कमलनाथ सरकार खतरे में आ गई है। इन स्थितियों में दलबदल कानून एक बार फिर चर्चा में आ गया है। विधायकों और सांसदों के दलबदल पर रोक के लिए बने इस कानून को निष्प्रभावी करने के लिए राजनीतिक दलों ने अब इस्तीफे के रास्ता तलाश लिया है। हाल ही में कर्नाटक इसका उदाहरण बना है, अब मध्य प्रदेश में यही हो रहा है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एसवाई कुरैशी ने कहा है कि कानून को प्रभावी बनाने के लिए अब इसमें दलबदल करने वाले विधायकों-सांसदों के छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान भी जोड़ा जाना चाहिए।

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कुरैशी ने कहा, मतदाता को महसूस होता है कि उसके साथ धोखा हुआ है। उसका चुना हुआ प्रत्याशी अपने फायदे के लिए पालाबदल कर रहा है। इससे लोकतंत्र कमजोर होता है। मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कुरैशी ने कहा, वहां पर लोगों ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए वोट दिया था। लेकिन अब पैसे के बल पर अन्य पार्टी सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। इस समय धन भारत के लोकतंत्र को चला रहा है। दलबदल कानून सन 1985 में प्रभाव में आया था। इसका उद्देश्य मंत्री पद या अन्य लाभ देकर दलबदल कराने की परंपरा पर रोक लगाना था। कानून के अनुसार किसी पार्टी के एक तिहाई विधायक या सांसद एकजुट होकर दलबदल कर सकते हैं। लेकिन अब इस कानून की काट भी तलाश ली गई है और सामूहिक इस्तीफे कराकर सरकार गिराई जा रही हैं। गोवा, मणिपुर और कर्नाटक में दो बार ऐसा हो चुका है।

उल्‍लेखनीय है कि 18 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार 10 मार्च को अमित शाह के साथ पीएम मोदी से मिलने पहुंचे और बाद में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा बेंगलुरु में मौजूद उनके गुट के 23 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। बागी विधायकों में छह मंत्री भी शामिल थे। इससे कमलनाथ सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। सरकार गिर सकती है। हालांकि पार्टी इससे इनकार कर रही है। आगामी 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है जो खासा गहमा-गहमी भरा होगा। सूत्रों की मानें तो भाजपा राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ही शक्ति परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) की मांग कर सकती है। 


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