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देश के अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट को पश्चिम बंगाल मदरसा सर्विस कमीशन एक्ट 2008 की संवैधानिकता पर अपना निर्णय देना है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 07:25 AM (IST)
देश के अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला
देश के अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों को लेकर अहम फैसला सुनाए जाने की संभावना है। इन अधिकारों में यह सवाल शामिल है कि क्या सरकारें कानूनी प्रक्रिया अपनाकर मदरसों से शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार ले सकती हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी।

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मदरसों में है आयोग के जरिये शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट को पश्चिम बंगाल मदरसा सर्विस कमीशन एक्ट, 2008 की संवैधानिकता पर अपना निर्णय देना है। इस एक्ट के तहत मदरसों में एक आयोग के जरिये शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान है। इस मामले में कोर्ट के फैसले से पूरे देश में अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों के सवाल का जवाब मिल सकता है।

मदरसों की प्रबंध समितियों ने दी थी उच्च न्यायालय में एक्ट को चुनौती

अनेक मदरसों की प्रबंध समितियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक्ट को चुनौती दी थी, जिसने कानून को असंवैधानिक ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ नए कानून के तहत नियुक्त हुए शिक्षक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

2020 सुप्रीम कोर्ट के लिए अत्यंत व्यस्तता वाला होगा

शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट में कामकाज शुरू होगा तो सभी की निगाहें उस पर लगी होंगी, क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 की समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिकाएं उसके समक्ष होंगी। आसार इसी के हैं कि 2020 सुप्रीम कोर्ट के लिए अत्यंत व्यस्तता वाला होगा। इसी साल शीर्ष अदालत को सबरीमाला मंदिर में हर आयु की महिलाओं के प्रवेश के मामले पर विचार के लिए संविधान पीठ का भी गठन करना है।

एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण

शीर्ष अदालत एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देने में क्रीमी लेयर की अवधारणा के बेहद महत्वपूर्ण मसले पर फैसला सुनाएगी। दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वह एससी-एसटी समुदाय में आरक्षण के लाभ से क्रीमी लेयर को बाहर रखने के 2018 के अपने फैसले को समीक्षा के लिए सात जजों की बेंच के हवाले करे।


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