माननीयों के मुकदमे सुन रही अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों से मांगा ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के आपराधिक मुकदमों की सुनवाई कर रही विशेष अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को इस बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के आपराधिक मुकदमों की सुनवाई कर रही विशेष अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को इस बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना, विनीत सरन और सूर्यकांत की पीठ ने सांसदों व विधायकों के मुकदमों के मामले में मंगलवार को जारी किए गए आदेश में बुधवार को एक और कालम जोड़ दिया है।
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रारों को देनी होगी जानकारी
इस बारे में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रारों को बताना होगा कि माननीयों के मामले सुन रही अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा है या नहीं। मंगलवार को इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संबंधित अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा के बारे में केंद्र सरकार से पूछा था। लेकिन आदेश में इसके बारे में जिक्र छूट गया था। बुधवार को मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने चीफ जस्टिस की पीठ के समक्ष आदेश में जिक्र न होने की बात उठाई।
कौन जज किस मामले की सुनवाई कर रहा, बताना होगा
इस पर पीठ ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों से विशेष अदालतों के बारे में मांगी गई जानकारी में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा के बारे में जानकारी देने का एक नया कालम जोड़ दिया। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों से सांसदों व विधायकों के केस सुन रही अदालतों के बारे में जो जानकारी मांगी है उसमें उन्हें बताना होगा कि कौन जज किस मामले की सुनवाई कर रहा है। किस जगह अदालत है। कितने दिनों से विशेष जज पद पर बने हुए हैं।
कितने केस लंबित यह भी जानकारी देनी होगी
इसके अलावा यह भी बताना होगा कि विशेष जज के समक्ष कुल कितने केस लंबित हैं और उन्होंने कितने केस निपटाए। यह भी बताना होगा कि कितने मामलों में आदेश या फैसला सुरक्षित है। इसके साथ जो नया कालम जोड़ा गया उसमें बताना होगा कि उस अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है कि नहीं। वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सांसदों व विधायकों के मामलों की जल्द सुनवाई की मांग की है।
मुकदमे वापस नहीं लिए जा सकते
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया था जो राज्य सरकारों द्वारा लोक अभियोजक की शक्तियों का दुरुपयोग कर सांसदों व विधायकों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए जाने के बारे में था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि संबंधित हाईकोर्ट की इजाजत के बगैर सांसदों व विधायकों के मुकदमे वापस नहीं लिए जा सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने ऐसे मुकदमों की सुनवाई कर रही अदालत के विशेष जज के स्थानांतरण पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।