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प. बंगाल पंचायत चुनाव: हजारों निर्विरोध सीटों पर हैरान SC, राज्य में नहीं लोकतंत्र

चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग से कहा कि सही स्थिति पर बुधवार को वह हलफनामा दाखिल करे।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 09:06 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 09:19 PM (IST)
प. बंगाल पंचायत चुनाव: हजारों निर्विरोध सीटों पर हैरान SC, राज्य में नहीं लोकतंत्र
प. बंगाल पंचायत चुनाव: हजारों निर्विरोध सीटों पर हैरान SC, राज्य में नहीं लोकतंत्र

नई दिल्ली [प्रेट्र]। पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनावों में निर्विरोध चुनी सीटों की संख्या पर सुप्रीम कोर्ट हतप्रभ है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने राज्य चुनाव आयोग से कहा कि सही स्थिति पर बुधवार को वह हलफनामा दाखिल करे।

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ध्यान रहे कि ग्राम पंचायत, जिला परिषद व पंचायत समिति की कुल 58692 सीटों पर हुए चुनावों में से 20159 सीटें निर्विरोध चुनी गई थीं। चुनावों के दौरान राज्य में जमकर हिंसा हुई और विपक्ष का आरोप था कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल नहीं करने दिया गया।

चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि सबसे ज्यादा हतप्रभ करने वाली स्थिति ग्राम पंचायत को लेकर है। 48650 सीटों में से 16 हजार पर बगैर किसी चुनाव के फैसला हो गया। बीरभूम, बांकुरा व मुर्शिदाबाद में हालात सबसे ज्यादा बदतर रहे। इसी तरह से जिला परिषद की 825, पंचायत समिति की 9217 सीटों पर मई में चुनाव हुए थे, जिनमें से 34 फीसद निर्विरोध चुनी गईं।

बेंच ने राज्य चुनाव आयोग के फैसले पर भी सवाल उठाया, जिसमें पहले नामांकन दाखिल करने की तिथि बढ़ाई गई और फिर अगले दिन इसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव में कोई भाग नहीं ले रहा था तो याचिका भी दायर नहीं होनी थी, लेकिन यहां तो बहुत सारी दरखास्त हैं, जो चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाती हैं। इनसे लगता है कि कहीं न कहीं गड़बड जरूर थी।

प. बंगाल भाजपा की तरफ से पेश अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि चुनाव के दौरान हिंसा की कई वारदातें हुईं और उम्मीदवारों को नामांकन तक दाखिल नहीं करने दिए गए। गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि ईमेल के जरिये नामांकन स्वीकृत किए जाए और उन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा गजट में न की जाए जो निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए कहा था कि पिछले फैसलों में साफ है कि एक बार चुनाव शुरू हो जाए तो फिर उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।


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