फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अयोध्या में सोच समझकर ढांचा गिराया गया था
गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि मुस्लिमों को गलत तरीके से उनके पूजा स्थल से वंचित कर दिया गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में ढांचा गिराए जाने के मसले पर सुनवाई नहीं की, लेकिन अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए इसका जिक्र किया है कि सोच समझकर ढांचा का गिराया गया था। कोर्ट की यह टिप्पणी बहुत हद तक इस मामले की जांच करने वाले लिबरहान आयोग की रिपोर्ट से मेल खाती है।
मुस्लिमों को गलत तरीके से उनके पूजा स्थल से वंचित कर दिया गया: सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने नोट किया कि विवादित भूमि को लेकर मुकदमों के लंबित रहने के दौरान सोच समझकर सार्वजनिक पूजा स्थल को ध्वस्त कर दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि मुस्लिमों को गलत तरीके से उनके पूजा स्थल से वंचित कर दिया गया, जिसका निर्माण लगभग 450 साल पहले कराया गया था।
ढांचे को सुनियोजित योजना बनाकर गिराया गया था: लिबरहान आयोग
अदालत के फैसले में ढांचे को गिराए जाने को लेकर बहुत ज्यादा नहीं कहा गया है, लेकिन इससे घटना के 10 दिन के भीतर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव द्वारा गठित लिबरहान आयोग की रिपोर्ट की याद ताजा हो गई है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ढांचे को सुनियोजित योजना बनाकर गिराया गया था।
आयोग ने ढांचा विध्वंस के मामले में भाजपा और संघ को दोषी ठहराया था
लिबरहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद 2009 में मनमोहन सिंह सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आयोग ने ढांचा विध्वंस के मामले में भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व को योजना बनाने का दोषी ठहराया था।