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एससी-एसटी प्रोन्नति कोटा मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर यथास्थिति के निर्देश

कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है। हम आज इस पर यथास्थिति बनाए रखना उचित समझते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:14 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 08:38 AM (IST)
एससी-एसटी प्रोन्नति कोटा मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर यथास्थिति के निर्देश
एससी-एसटी प्रोन्नति कोटा मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर यथास्थिति के निर्देश

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश पर सोमवार को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इसमें केंद्र से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों (एससी-एसटी) के कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने पर शीर्ष अदालत के फैसले का तीन महीने के अंदर पालन करने को कहा गया था।

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हाई कोर्ट ने पिछले साल 12 नवंबर के आदेश में कहा था कि अधिकारी शीर्ष अदालत की पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य हैं। पीठ ने एससी-एसटी समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने का रास्ता साफ किया था। हाई कोर्ट ने पिछले साल 26 सितंबर के संविधान पीठ के फैसले का संज्ञान लेते हुए केंद्र को तीन महीने में इस आदेश का पालन करने को कहा था।

केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर सोमवार को जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। पीठ ने कहा, 'इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है। हम आज इस पर यथास्थिति बनाए रखना उचित समझते हैं।'

इससे पहले अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हाई कोर्ट को इस तरह के आदेश पारित नहीं करने चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि एससी और एसटी समुदायों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शीर्ष अदालत फैसला करेगी, लेकिन हाई कोर्ट का निर्देश केंद्र के लिए समस्या है। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे से संबंधित कुछ अन्य याचिकाओं पर भी ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई करेगी, जो पहले ही उसके समक्ष लंबित हैं।

सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के वकील ने कहा कि हजारों पद खाली पड़े हैं। ऐसे खाली पदों की संख्या राज्य में 89 हजार है। उन्होंने कहा, 'इन पदों को भरने के लिए कोई व्यवस्था होनी चाहिए।'


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