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अयोग्य घोषित हो चुके सांसद विधायकों के उपचुनाव लड़ने पर रोक की गुहार, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किए जा चुके सांसद और विधायकों के उसी सदन के लिए उपचुनाव लड़ने पर प्रतिबंधित करने की याचिका पर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर दोनों से जवाब मांगा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 10:42 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 10:42 PM (IST)
अयोग्य घोषित हो चुके सांसद विधायकों के उपचुनाव लड़ने पर रोक की गुहार, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट से अयोग्य घोषित सांसद और विधायकों के उपचुनाव लड़ने पर रोक की मांग की गई है

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित सांसद विधायक के उसी सदन, जिसके लिए वे निर्वाचित हुए थे के लिए उपचुनाव लड़ने पर प्रतिबंधित करने की याचिका पर गुरुवार को नोटिस जारी किया। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने कांग्रेस की नेता जया ठाकुर की याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर दोनों से जवाब मांगा।

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अनुसूची के प्रावधान को निरर्थक बनाने की कोशिशें

इस याचिका में जया ठाकुर ने कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा दल बदल के कारण अयोग्यता संबंधी संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधान को निरर्थक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वकील वरिन्दर कुमार शर्मा के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि सदन का कोई सदस्य जब 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अयोग्य हो जाता है तो उसे उसी सदन, जिसके लिए उसके निर्वाचन का कार्यकाल पांच साल था, के लिए दुबारा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

असंतुष्ट और दलबदल के बीच फर्क करना जरूरी

याचिका के अनुसार, हमें यह ध्यान रखना है कि असंतुष्ट और दलबदल के बीच एक स्पष्ट अंतर करना जरूरी है ताकि दूसरे संवैधानिक पहलुओं के मद्देनजर लोकतांत्रिक मूल्यों में संतुलन बनाए रखा जाये। याचिका में मणिपुर, कर्नाटक और मध्‍य प्रदेश की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया कि एक दल के विधायक दूसरे दल की सरकार के गठन में सहयोग के लिए दल बदल करते हैं, इस्तीफा देते हैं या अयोग्य ठहराए जाते हैं।

लोकतंत्र को तमाशा बना दिया

याचिका के अनुसार इन अलोकतांत्रिक तरीकों ने हमारे देश के संविधान और लोकतंत्र को तमाशा बना दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि राज्य की जनता स्थिर सरकार से वंचित होती है और मतदाता समान विचार धारा के आधार पर अपनी पसंद के प्रतिनिधि का चयन करने के अधिकार से वंचित रहते हैं। याचिका में कहा गया कि 2019 में कर्नाटक में 17 विधायकों के इस्तीफा देने पर अध्यक्ष द्वारा उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण अयोग्य घोषित किया गया।

दल बदल को राष्ट्रीय समस्या बताया

कर्नाटक के इन बागी विधायकों में से 11 दोबारा निर्वाचित हुए जिनमें से 10 विधायक नई सरकार में मंत्री बन गए। याचिका में पिछले साल मध्य प्रदेश में हुए राजनीतिक घटनाक्रम का भी जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया कि किसी सदन का सदस्य, जो स्वेच्छा से अपने राजनीतिक दल की सदस्यता त्यागना भी 10वीं अनुसूची के दायरे में आता है। याचिका में राजनीतिक दल बदल को राष्ट्रीय समस्या बताते हुए कहा गया कि न्याय के हित में कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित आदेश देना चाहिए।


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