राफेल डील को लेकर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल आएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट फ्रांस से अरबों रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए हुए सौदे की जांच पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। कोर्ट की निगरानी में सौदे की जांच की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 नवंबर को याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका दायर करने वालों में वकील एमएल शर्मा, विनीत ढांडा और प्रशांत भूषण, आप नेता संजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं ने सौदे में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ को जांच के लिए एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की अपील की है। सरकार ने भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है। दो इंजिन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन करती है।
केंद्र सरकार ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए उसकी कीमत को सार्वजनिक करने की मांग का पुरजोर विरोध किया था। केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के मुताबिक खाली राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है।
लेकिन पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर तभी चर्चा की जा सकती है, जब वह तय कर लेगी कि उसे सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं।
वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कोर्ट से कहा कि केवल तीन परिस्थितियों में ही अंतर-सरकारी रास्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। भूषण ने यह भी कहा कि फ्रांसीसी सरकार की ओर से डील के सबंध में कोई सॉवरेन गारंटी नहीं थी। बता दें कि प्रशांत भूषण पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से दलील दे रहे हैं, जो राफेल डील के याचिकाकर्ताओं में से एक हैं।
अरुण शौरी ने भी सरकार को घेरा
सुप्रीम कोर्ट में अरुण शौरी ने कहा कि ऑफसेट की बातों को बाद में बदला गया, दासौ ने रिलायंस को चुना। उन्होंने आरोप लगाया कि दासौ भी इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, यही कारण है कि उन्होंने सरकार की हर बात मानी और रिलायंस के साथ करार किया। इस डील से दासौ को भी फायदा हुआ। शौरी ने आरोप लगाया कि राफेल डील का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय की सलाह के किया है।
वहीं, आप नेता संजय सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफेल विमानों की कीमतों का खुलासा संसद में दो बार किया जा चुका है, इसलिए सरकार के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कीमतों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है ।