जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
राज्यपाल शासन की छह महीने की अवधि 18 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। जम्मू कश्मीर विधानसभा की अवधि अक्टूबर 2020 तक थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग करने को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। यह याचिका भंग विधानसभा में विधायक रहे भाजपा नेता गगन भगत ने दाखिल की थी।
सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने राज्यपाल के विधानसभा भंग करने के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि जैसे ही सरकार बनाने का दावा भेजा गया वैसे ही विधानसभा भंग कर दी गई जो कि ठीक नहीं है। दूसरी तरफ से बिना नोटिस के ही कैबिएट पर जम्मू कश्मीर की तरफ से वकील शोएब आलम और केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल कोर्ट में मौजूद थे, लेकिन उन्हें एक भी शब्द नहीं बोलना पड़ा क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजय किशन कौल की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इन्कार करते हुए कहा कि वे विधानसभा भंग करने के राज्यपाल के फैसले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने निलंबित चल रही विधानसभा को गत 21 नवंबर को अचानक भंग कर दिया था। महबूबा मुफ्ती की पिपुल डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को ओर से कहा गया था कि उन्होंने नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने की घोषणा की थी, लेकिन कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने कर दी थी। महबूबा मुफ्ती के अलावा दो सदस्यीय दल पिपुल्स कान्फ्रेंस भी भाजपा व अन्य विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा कर रहा था।
जम्मू कश्मीर में भाजपा द्वारा महबूबा मुफ्ती की सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद गत 19 जून को राज्य में सरकार गिर गई थी और राज्यपाल शासन लग गया था। तभी से विधानसभा निलंबित चल रही थी। राज्यपाल शासन की छह महीने की अवधि 18 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। जम्मू कश्मीर विधानसभा की अवधि अक्टूबर 2020 तक थी।