सुप्रीम कोर्ट ने बांध का जलस्तर घटाने पर विचार करने को कहा
कोर्ट ने केरल सरकार से राज्य सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल के मुल्लापैरियार बांध के बढ़े जल स्तर पर चिंता जताई। कोर्ट ने केरल में भयंकर बाढ़ से निबटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति को बांध का जल स्तर तीन फिट घटाने पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने इसके साथ ही तमिलनाडु से कहा है कि अगर इस बारे में कोई निर्णय होता है तो वह उसका पूरी निष्ठा से पालन करे।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल बाढ़ मामले में सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) और केरल सरकार की ओर से राज्य में बाढ़ की स्थिति से निपटने को गठित उप समिति से कहा कि दोनों समितियां समन्वय से मुल्लापैरियार बांध के जल स्तर को कम करने की संभावनओं पर काम करें, जिससे कि बांध के मौजूदा 142 फीट जलस्तर को तीन फिट कम करके 139 फीट पर लाया जा सके। कोर्ट ने केरल और तमिलनाडू सरकार से कहा कि वह एनसीएमसी के बाढ़ग्रस्त लोगों के पुनर्वास और जल स्तर को कम करने के निर्देश का पालन करें।
कोर्ट ने केरल सरकार से राज्य सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के सेक्शन-9 के तहत गठित उप समिति की ओर से योजना के बारे में सूचित करते हुए कोर्ट को बताया गया कि मुल्लापेरियार बांध के जल स्तर को चरणबद्ध तरीके से एक-एक फीट कम किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को उप समिति को केरल और तमिलनाडु के राज्य प्राधिकरण के साथ तत्काल बैठक करके मुल्लापेरियार बांध के जल स्तर को कम करने को लेकर शुक्त्रवार सुबह तक राय मांगी थी। केरल के इदुक्की निवासी रसेल राय ने बाढ़ की वजह से मुल्लापेरियार बांध के जल स्तर को कम करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कोर्ट से आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी। जिसमें कहा गया था कि मलापेरियार बांध के उच्च जल स्तर के लिए उचित प्रबंधन किया जाएं। केरल में बाढ़ और बारिश की वजह से 167 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है। बाढ़ और बारिश से केरल को काफी नुकसान हुआ है।