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फिर टली गुजरात दंगों में मोदी को क्लीन चिट देने के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई

कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने विशेष जांच दल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 12:36 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 12:36 PM (IST)
फिर टली गुजरात दंगों में मोदी को क्लीन चिट देने के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई
फिर टली गुजरात दंगों में मोदी को क्लीन चिट देने के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्‍ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की जाकिया जाफरी की विधवा की 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट की चुनौती वाली याचिका जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

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पिछले महीने भी जाकिया जाफरी की अपील पर सुनवाई टाल दी गई थी। कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने विशेष जांच दल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी है। जाफरी अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में 28 फरवरी, 2002 को हिंसक भीड़ द्वारा मारे गये 68 व्यक्तियों में शामिल थे।

यह मामला न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष 15 जनवरी को सूचीबद्ध था। पीठ ने कहा, 'आप चार सप्ताह का समय चाहते हैं और हम आपको चार सप्ताह का वक्त दे रहे हैं।' न्यायालय ने पहले कहा था कि जकिया की याचिका में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के सह याचिकाकर्ता बनने की अर्जी पर मुख्य मामले की सुनवाई से पहले वह गौर करेगा।

जकिया के वकील ने पीठ से कहा कि इस मामले में नोटिस जारी करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 के दौरान कथित ‘व्यापक साजिश’ से संबंधित है। इसमें यह भी कहा गया है कि विशेष जांच दल ने मामला बंद करने के लिये निचली अदालत में दायर अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने विरोध याचिका दायर की थी। लेकिन अदालत ने उसके गुण दोष पर विचार के बगैर ही उसे खारिज कर दिया।

विशेष जांच दल ने आठ फरवरी, 2012 को मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुये कहा गया था कि इनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य साक्ष्य नहीं हैं।


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