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म्यांमार में भी टूट रहा है चीन का वर्चस्व, सित्वे पोर्ट को मिजोरम से जोड़ने की है भारत की योजना

सित्वे पोर्ट ने म्यांमार में चीन के वर्चस्व को तोड़ा है लेकिन ढांचागत परियोजनाओं को लेकर भारत यहां अभी भी चीन से काफी पीछे है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 08:24 PM (IST)
म्यांमार में भी टूट रहा है चीन का वर्चस्व, सित्वे पोर्ट को मिजोरम से जोड़ने की है भारत की योजना
म्यांमार में भी टूट रहा है चीन का वर्चस्व, सित्वे पोर्ट को मिजोरम से जोड़ने की है भारत की योजना

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कुछ वर्ष पहले तक यह माना जाता था कि पड़ोसी देश म्यांमार में सिर्फ चीन ही अपनी परियोजनाओं को लागू कर सकता है या वहां विकास कार्यों को अंजाम दे सकता है। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन भारत ने म्यांमार में चीन के इस वर्चस्व को तोड़ना शुरु कर दिया है।

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खास तौर पर जिस तेजी से वहां सित्वे पोर्ट को पूर्वोत्तर भारत के मिजोरम से जोड़ने के काम को अंजाम दिया जा रहा है वह आने वाले समय में इस समूचे क्षेत्र में विकास की नई कहानी लिखेगा। ये परियोजनाएं ना सिर्फ भारत व म्यांमार के रिश्ते को और मजबूत बनाएगा बल्कि यह सुनिश्चित भी करेगा कि भविष्य में रोहिंग्याई मुसलमानों को पलायन के लिए मजबूर नहीं करे।

सित्वे पोर्ट म्यांमार के रखाईन प्रांत में है। इसी प्रांत के उत्तरी हिस्से में रोहिंग्याई मुस्लिम रहते हैं जिनका एक बड़ा हिस्सा पलायन कर बांग्लादेश में शरण लिये हुए है। हजारों रोहिंग्याई मुस्लिम भारत में भी रहते हैं जिसको लेकर कई बार राजनीतिक बहस गरम होती रहती है।

भारत ने सित्वे पोर्ट और रखाईन प्रांत की कलादान नदी को जोड़ने के लिए 48.4 करोड़ डॉलर की लागत से कलादान मल्टी मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमएमटीटीपी) शुरु किया है। इसके तहत वहां एक अंतरदेशीय ट्रांसपोर्ट टर्मिनल बनाया जाएगा। इस टर्मिनल को सड़क मार्ग से मिजोरम के जोरिनपुई से जोड़ने का काम भी अभी चल रहा है।

इस परियोजना को दोनो देशो के लिए समान फायदे वाला बताया जा रहा है। एक तो म्यांमार के सबसे उपेक्षित क्षेत्र में विकास का पहिया घूमने लगेगा दूसरा भारत को अपने पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच के लिए वैकल्पिक रास्ता मिल जाएगा।

सित्वे पोर्ट ने म्यांमार में चीन के वर्चस्व को तोड़ा है, लेकिन ढांचागत परियोजनाओं को लेकर भारत यहां अभी भी चीन से काफी पीछे है। चीन की मदद से म्यांमार में कुल दो दर्जन परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से छह परियोजनाएं चीन की बेल्ट व रोड इनिसिएटिव (बीआरआइ) के तहत लागू की जा रही हैं।

रखाईन प्रांत को चीन के युनान प्रांत से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर भी दोनो देशों में बात हो रही है। निश्चित तौर पर भारत अभी म्यांमार में जो परियोजनाएं लगा रहा है उसका आकार काफी सीमित है। जानकारों का कहना है कि दोनो देशों में कनेक्टिविटी से जुड़ी दूसरी बुनियादी परियोजनाओं को लेकर बातचीत जारी है।

रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए भारत ने बनाये 250 आवास

बांग्लादेश में बसे रोहिंग्याई मुसलमानों की म्यांमार वापसी के लिए भारत ने वहां सामाजिक उत्थान से जुड़ी परियोजनाओं को भी तेज करना शुरु कर दिया है। मंगलवार को भारत ने म्यांमार के रखाईन प्रांत में नवनिर्मित 250 आवासों की चाभी स्थानीय अधिकारियों को सौंप दिए।

इन आवासों के अलावा भारत वहां सौर ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाएं, कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़ी परियोजनाओं को भी लागू कर रहा है। इसके पहले सित्वे कंप्यूटर यूनिवर्सिटी को भारत की तरफ से 40 कंप्यूटर और वहां के किसानों की मदद के लिए ट्रैक्टर्स आदि भी उपलब्ध कराये गये हैं।

इन परियोजनाओं का उद्देश्य यह है कि बांग्लादेश या दूसरे जगहों में रह रहे रोहिंग्याई लोगों की वापसी के लिए एक बेहतर माहौल बनाया जा सके। 


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