Sunil Jhakar: सुनील जाखड़ ने कहा, कांग्रेस पार्टी छोड़ना एक कठिन निर्णय, जानिए भाजपा नेता ने किसे कहा चापलूसों की पार्टी
भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यह पार्टी अब चापलूसों की पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस के पूर्व नेता ने पार्टी आलाकमान को सुझाव दिया कि चापलूसी करने वालों से सावधान रहें और कमान अपने हाथ में लें।
नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्व कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने भाजपा का दामन थाम लिया है। वो गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी छोड़ना उनके लिए एक कठिन निर्णय था। कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यह पार्टी अब चापलूसों की पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस के पूर्व नेता ने पार्टी आलाकमान को सुझाव दिया कि चापलूसी करने वालों से सावधान रहें और कमान अपने हाथ में लें। समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए जाखड़ ने कहा, 'यह (कांग्रेस छोड़ना) मेरे लिए एक कठिन निर्णय था। कांग्रेस ने वास्तव में मेरा दिल तोड़ दिया। राष्ट्र किसी भी 'परिवारवाद' से बड़ा है। मेरी निष्ठा मेरे राष्ट्र के प्रति है। पीएम मोदी ने इसे समझा और 'पंजाबियत' की भावना का सम्मान किया।' उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिन पंजाब में भाजपा के लिए अच्छे होंगे।
पहले कांग्रेस 'थिंक टैंक' की तरह थी
कांग्रेस में समय के साथ हुए परिवर्तनों पर विस्तार से बताते हुए, भाजपा नेता ने कहा कि पहले पार्टी के कार्यकर्ता एक 'थिंक टैंक' की तरह थी, लेकिन अब पार्टी नेतृत्व केवल उन लोगों के विचारों का समर्थन करता है जो उनकी चापलूसी करते हैं। उन्होंने कहा, "मैंने पार्टी नेतृत्व को बहुत लंबे समय से करीब से देखा है। पहले कांग्रेस कार्यकर्ता एक जीवित थिंक टैंक की तरह थे। जब कैबिनेट की बैठकें होती थीं, तो यह एक सुपर थिंक टैंक की तरह होता था। आज ऐसे लोग कहां हैं?
कांग्रेस हार के बारे में बात नहीं कर रही
जाखड़ ने आगे कहा कि हाल ही में उदयपुर में संपन्न चिंतन शिविर में विधानसभा चुनाव के परिणामों के पीछे के कारणों का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए था। 'कांग्रेस के पास अभी भी वर्तमान में जीने का मौका है। उन्होंने आगे कहा कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर के दौरान पार्टी ने जिस तरह से व्यवहार किया, वह ऐसा था जैसे देश की जिम्मेदारी कांग्रेस के कंधों पर है। बैठक के दौरान हाल ही में विधानसभा में मिले चुनावी हार की जगह विदेश नीति और आर्थिक नीतियों पर चर्चा की जा रही थी।