छात्र राजनीति से लेकर मंत्री बनने तक, दिलचस्प रहा प्रियांक खरगे का सफर; कांग्रेस पर लगने लगे परिवारवाद के आरोप
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने पहली बार साल 2013 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद प्रियांक खरगे का विजयीरथ कभी थमा नहीं। 2023 में प्रियांक खरगे ने तीसरी बार विजयी पताका फहराई।
बेंगलुरू, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक की सत्ता अब सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के हाथों में है। सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री और शिवकुमार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शनिवार को शपथ ली। साथ ही राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 8 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इनमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे भी शामिल हैं, जिन्हें ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने नियमों को ताक में रखकर मंत्री बनाया। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है।
समारोह में कौन-कौन शामिल हुआ?
बेंगलुरू के कांटीराव स्टेडियम में कांग्रेस ने विपक्षी एकता का प्रदर्शन किया। इस दौरान मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, माकपा महासचिव सीताराम याचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार दिखाई दिए।
राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा मंच पर अभिनेताओं का भी जमावड़ा लगा। इनमें तमिल सुपरस्टार कमल हासन, कन्नड़ सुपर स्टार शिवराज कुमार, अभिनेता दुनिया विजय, अभिनेत्री राम्या, अभिनेत्री निश्विका नायडू, अभिनेत्री उमाश्री और फिल्म निर्देशक वी राजेंद्र सिंह बाबू शामिल हैं।
इन तमाम लोगों का जहां एक तरफ जमावड़ा लगा, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगने लगे और ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि पार्टी ने प्रियांक खरगे को मंत्री पद की शपथ दिलाई। हालांकि, प्रियांक खरगे के अलावा भी कई नाम मौजूद थे, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इसी एक नाम पर हो रही है।
कौन हैं प्रियांक खरगे?
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने पहली बार साल 2013 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद प्रियांक खरगे का 'विजयीरथ' कभी थमा नहीं। 2023 में प्रियांक खरगे ने तीसरी बार विजयी पताका फहराई।
दरअसल, प्रियांक खरगे अपने पिता मल्लिकार्जुन खरगे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। साल 2008 में पिता खरगे जहां से विधायक बने थे उसी सीट से चुनकर प्रियांक खरगे विधानसभा पहुंचे हैं। यह सीट कोई और नहीं, बल्कि कलबुर्गी की चित्तपुर सीट है।
प्रियांक खरगे साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। उस वक्त उन्हें आईटी, बीटी और पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। प्रियांक खरगे का राजनीतिक जीवन काफी दिलचस्प रहा और छात्र राजनीति से लेकर विधानसभा तक का सफर तय किया। बीच में उन्होंने एनएसयूआई के महासचिव और राज्य महासचिव का पद भी संभाला था।
क्या नियमों को रखा गया ताक पर?
राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की कम होती लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन समिति में कई अहम फैसले लिए थे। इन फैसलों में एक परिवार एक टिकट का भी उल्लेख था। जिनके दम पर पार्टी में नई जान फूंकने की बात कही गई थी।
ऐसे में प्रियांक खरगे को मंत्री पद की शपथ क्यों दिलाई गई। इसका जवाब भी हम आपको दे देते हैं। दरअसल, उदयपुर चिंतन शिविर में एक परिवार एक टिकट का फॉर्मूला जब सामने आया था तब एक छूट भी दी गई थी। उस वक्त कहा गया था कि अगर परिवार के दूसरे व्यक्ति ने कम से कम 5 साल तक संगठन को अपनी सेवाएं दी हैं तो उसे इससे छूट दी जा सकती है।