नशे के खिलाफ छिड़ी मुहिम से राज्य अब नहीं झाड़ सकेंगे पल्ला, मोदी सरकार ने बनाई राष्ट्रीय कार्ययोजना
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बगैर देरी किए नशे से निपटने के लिए सारी जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नशे के खिलाफ मुहिम में राज्यों को अब बड़ी भूमिका निभानी होगी। केंद्र ने इसके खिलाफ अपनी मुहिम को तेज करते हुए राज्यों को फिलहाल और ज्यादा जवाबदेह बनाया है। साथ ही इससे निपटने के लिए उन्हें वित्तीय मदद भी देने का फैसला लिया है। इसके तहत राज्यों को पहले ही साल में 57 करोड़ से अधिक की मदद जारी कर दी गई है। हालांकि इनमें बिहार, झारखंड, गोवा, चंडीगढ़ जैसे कई राज्य ऐसे है, जिनके प्रस्ताव न मिलने से उन्हें दूसरी किश्त नहीं दी गई है।
नशे के खिलाफ केंद्र ने अपनी इस मुहिम को तेज करने का यह फैसला तब लिया है, जब देश के 135 जिलों में कराए गए सर्वे के बाद चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिले है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान( एम्स) की मदद से कराए गए इस सर्वे में नशे के खिलाफ तुरंत जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की गई है।
यही वजह है कि सरकार ने बगैर देरी किए गए नशे से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्ययोजना को मंजूरी दी है। जिसमें राज्यों को बड़ी जवाबदेही दी गई है। इससे पहले राज्यों में केंद्र की मदद से कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं इस मुहिम में जुटी हुई थी।
नई कार्ययोजना में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने राज्यों पर इससे निपटने की सारी जिम्मेदारी छोड़ दी है। ऐसे में स्वयंसेवी संस्थानों को भी अब इसके लिए राज्यों से जरूरी मदद मिलेगी। मंत्रालय का मानना है कि इस नई व्यवस्था से राज्यों में नशे की खिलाफ पूरी मुहिम संगठित तरीके से चल सकेगी।
पंजाब पर सबसे ज्यादा फोकस, दस करोड़ से ज्यादा की दी गई मदद
नशे के खिलाफ छेड़ी गई इस मुहिम में केंद्र का सबसे ज्यादा फोकस पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और असम सहित पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर है। यही वजह है कि इन राज्यों के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए तुरंत ही काम शुरू करने के लिए कहा गया है।
फिलहाल इसके लिए राज्यों को 57 करोड़ की जो मदद जारी की गई है, उनमें सबसे ज्यादा दस करोड़ से ज्यादा (10.74 करोड़) अकेले पंजाब को दिए गए है। इसके साथ ही हरियाणा को 6.5 करोड़, उत्तर प्रदेश को 2.25 करोड़ दिया गया है। वहीं बिहार के लिए भी 2.25 करोड़ स्वीकृत किए है, लेकिन प्रस्ताव न मिलने के चलते उन्हें सिर्फ 1.12 करोड़ रुपए की पहली किश्त ही दी गई है। इसी तरह झारखंड को भी 1.35 करोड़ स्वीकृत किए गए है, लेकिन प्रस्ताव न मिलने के चलते उन्हें सिर्फ 67 लाख ही दिए गए है।