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मप्र में गैर भाजपाई गठबंधन को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेसी नेताओं में मंथन

चिंता इस बात को लेकर ज्यादा है कि चुनाव बाद गठबंधन की स्थिरता पूरी विश्वसनीयता के साथ बनी रहे।

By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 11:57 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 07:34 AM (IST)
मप्र में गैर भाजपाई गठबंधन को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेसी नेताओं में मंथन
मप्र में गैर भाजपाई गठबंधन को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेसी नेताओं में मंथन

भोपाल [नईदुनिया]। मध्य प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव में गैर भाजपाई महागठबंधन की कवायद तेज हो गई है। दो अगस्त को आधा दर्जन छोटे दलों के भोपाल में होने वाले सम्मेलन में शिरकत को लेकर कांग्रेस और बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन गठबंधन के सूत्रधार पूर्व जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती की कांग्रेस के दिग्गजों से अलग-अलग मुलाकातें हो चुकी हैं।

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महागठबंधन की स्कि्रप्ट तैयार करने में जुटे समाजवादी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस कर्नाटक के अनुभव के बाद ज्यादा सतर्कता से कदम बढ़ा रही है। उसकी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा है कि चुनाव बाद गठबंधन की स्थिरता पूरी विश्वसनीयता के साथ बनी रहे।

मप्र के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए भी सैद्धांतिक चर्चा हुई है, लेकिन अभी सीटों पर कोई बात नहीं हुई है। बताया जाता है कि मायावती की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा अशोक गहलोत से भी चर्चा हुई है।

उधर, शरद यादव की भी कांग्रेस के इन तीनों नेताओं से हुई मुलाकात में इसी मुद्दे पर लंबी चर्चा हो चुकी है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव गोविंद यादव का कहना है कि छग में कांग्रेस के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम मंच साझा कर चुके हैं।

अब दो अगस्त को महागठबंधन के लिए प्रस्तावित सम्मेलन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इसमें लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव मुख्य अतिथि की भूमिका में रहेंगे। इसमें मरकाम और फूलसिंह बरैया सहित राष्ट्रीय समानता दल को मिलाकर छह क्षेत्रीय दल शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस और बसपा से अभी इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई है।

गैर कांग्रेसी हिंदू वोट पर फोकस
इस सम्मेलन के बहाने गैर आदिवासी, गैर दलित और गैर कांग्रेसी हिंदू वोटों पर फोकस किया जा रहा है। गठबंधन से जुड़े नेताओं का कहना है कि भाजपा के जनाधार में बड़ी संख्या ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ग से है। इनमें से एक हिस्सा कांग्रेस के पास भी है। इनके अलावा गैर कांग्रेसी हिंदूओं को महा गठबंधन के बैनर तले लाने की कोशिश है, जिनमें ज्यादातर कम आबादी वाले समाज और गरीब-ओबीसी वर्ग के लोग शामिल हैं।


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