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दही से दक्षिण भारत में छिड़ा भाषा विवाद, स्टालिन ने उठाए सवाल तो FSSAI ने लिया यू-टर्न

MK Stalin Attack center FSSAI के एक आदेश के बाद दक्षिण भारत में भाषा विवाद फिर से छिड़ गया। दरअसल एफएसएसएआई ने दक्षिण भारत की दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को दही के पैकेट पर हिंदी में ही दही लिखने को कहा था जिसपर राजनीति शुरू हो गई।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaPublished: Thu, 30 Mar 2023 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 03:40 PM (IST)
दही से दक्षिण भारत में छिड़ा भाषा विवाद, स्टालिन ने उठाए सवाल तो FSSAI ने लिया यू-टर्न
MK Stalin Attack center स्टालिन का केंद्र पर निशाना।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। MK Stalin Attack center दक्षिण भारत में इस समय चुनावों को छोड़ दही पर राजनीति हो रही है। देशभर के खाद्य सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले प्राधिकरण FSSAI के दही को लेकर एक आदेश के बाद भाषा विवाद फिर से छिड़ गया। दरअसल, एफएसएसएआई ने दक्षिण भारत की दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को दही के पैकेट पर हिंदी में ही दही लिखने को कहा था, जिसका स्टालिन ने कड़ा विरोध किया। 

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स्टालिन के विरोध के बाद FSSAI ने बदला आदेश

FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) के इस आदेश के बाद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने नाराजगी जताई है। स्टालिन ने प्राधिकरण के इस फैसले के केंद्र सरकार की रणनीति करार देते हुए कहा कि ये सब हिंदी को थोपने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि ऐसा आदेश देने वाले याद रखें कि वो आने वाले दिनों में खुद साउथ से भगा दिया जाएगा।

हालांकि, चौतरफा विरोध के बाद प्राधिकरण ने फैसला पलटते हुए सफाई दी है। FSSAI ने कहा कि दही के पैकेट पर स्थानीय भाषाओं के नाम के साथ कर्ड (दही) लिखे जाने की सिफारिश की गई है।

FSSAI ने दिया था ये आदेश

खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने कर्नाटक और तमिलनाडु में दही को हिंदी में ही लिखने का आदेश दिया था। दही को कन्नड में 'मोसारू' और तमिल में 'तयैर' लिखा जाता है। अब इन्हीं शब्दों की जगह दहीं लिखे जाने के आदेश के बाद स्टालिन ने नाराजगी जताई थी। 

भाजपा नेता ने भी दिया स्टालिन का साथ

तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने जैसे ही भाषा का मुद्दा उठाया तो भाजपा नेताओं ने खुद उनका साथ दिया। दरअसल, राज्य में भाषा विवाद इतना गहरा है कि तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने भी स्टालिन का साथ देते हुए FSSAI के चेयरपर्सन राजेश भूषण को पत्र लिख इस आदेश को वापिस लेने की मांग की थी।

के अन्नामलाई ने अपने पत्र में कहा कि प्राधिकरण का आदेश पीएम मोदी की नीतियों के उलट काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हमेशा से स्थानीय भाषाओं को प्रमोट करने की बात करते हैं, लेकिन यह आदेश सही नहीं है और इसे तुरंत प्रभाव से वापिस लिया जाना चाहिए।


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